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कांग्रेस में हार, भाजपा में नहीं गली दाल, अब संजय शुक्ला को याद आई समाज की याद, भांजे के खिलाफ ही मैदान में उतर गए

जिस भांजे को कांग्रेसी संजय शुक्ला का काम करने के लिए भाजपा ने किया था दंडित उसी के नहीं हुए

इंदौर। विधानसभा एक के पूर्व कांग्रेस विधायक संजय शुक्ला इन दिनों काफी परेशान हैं। चुनाव के दौरान कैलाश विजयवर्गीय को लगातार कोसने के बाद अपने धंधे बचाने के लिए भाजपा में शामिल तो हो गए, लेकिन उनकी वहां दाल नहीं गल रही है। अभी तक भाजपा ने उन्हें न तो कोई प्रमुख पद दिया है और न ही विधानसभा एक में भी विजयवर्गीय खेमे के आगे उनकी चल पा रही है। ऐसे में शुक्ला को अब अपने समाज की याद आई है। अब वे कान्यकुब्ज विद्या प्रचारिणी सभा के चुनाव में मैदान संभाल चुके हैं।

अब तक कान्यकुब्ज विद्या प्रचारिणी सभा की याद उन्हें नहीं आई थी और न ही बाबूजी यानी विष्णुप्रसाद शुक्ला को वे याद कर रहे थे। अगर कर रहे होते तो काफी पहले ही कांग्रेस का पाला छोड़ अपने पिता की पार्टी यानी भाजपा में आ चुके होते। विधानसभा चुनाव में जब कैलाश विजयवर्गीय को एक नंबर से टिकट मिला तब ही तय हो गया था कि इस बार शुक्ला का सूपड़ा साफ है। ताज्जुब तो इस बात का भी है जब वे समाज के चुनाव में भी अपने ही रिश्तेदारों के खिलाफ कूद पड़े।

शुक्ला के कारण अवस्थी को भाजपा ने किया था दंडित

शुक्ला ने अपने फायदे के लिए अपने उस भांजे का भी ध्यान नहीं रखा, जिसने भाजपा में रहते हुए भी उनके लिए काम किया था। संजय शुक्ला कांग्रेस से उम्मीदवार थे और विकास अवस्थी भाजपा में। अपने मामा के लिए उन्होंने पार्टी का भी ध्यान नहीं रखा और जिसके परिणाम स्वरूप भाजपा ने अवस्थी को दंडित किया था। अब शुक्ला उसी भांजे के खिलाफ मोर्चा खोलकर बैठ गए हैं।

धर्मशाला की दुकानें और स्कूल दूसरे समाज को दे दिए

संजय शुक्ला के भांजे विकास अवस्थी का कहना है कि 110 साल बाद उनके प्रयासों से कान्यकुब्ज विद्या प्रचारिणी सभा के चुनाव हो रहे हैं। अवस्थी का कहना है कि जब तक बाबूजी यानी विष्णुप्रसाद शुक्ला थे तब तक सब ठीक था। उनके निधन के बाद उनके पुत्र पूर्व विधायक संजय शुक्ला को समाज ने अध्यक्ष मनोनीत कर दिया था। अवस्थी ने कहा कि इसके बाद स्थिति बिगडती गई। समाज के स्कूल, धर्मशाला और उसमें बनी दुकानों को ठेके पर दूसरे समाज को दे दिया गया। भारी अनियमितता होती रही। जब भी उन्होंने संजय शुक्ला से इस संबंध में शिकायत की तो उन पर कोई असर नहीं हुआ।

हाई कोर्ट तक पहुंचा मामला

संजय शुक्ला ने जब नहीं सुनी तो विकास अवस्थी ने समाज में सदस्यता सूची और बायलाज को लेकर रजिस्ट्रार और हाईकोर्ट तक मामला लेकर चले गए। विकास के साथ समाज का एक तबका साथ आया। चुनाव तय हुआ तो संजय शुक्ला ने बाबू पैनल बनाकर खुद ही सभापति के लिए नामांकन दाखिल कर दिया। इधर, विकास अवस्थी ने पारदर्शी पैन बनाकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता स्वर्गीय भगवती प्रसाद मिश्रा के बेटे अरविंद मिश्रा को शुक्ला के सामने खड़ा कर दिया। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि विजयनगर स्थिति कॉलेज की जमीन भगवती प्रसाद मिश्रा ने ही सुरेश सेठ से दिलवाई थी।

मतदान के लिए मात्र छह घंटे

कान्यकुब्ज विद्या प्रचारिणी सभा के चुनाव दो मार्च यानी रविवार को हैं। विकास अवस्थी का कहना है कि कुल 4300 सदस्यों वाली इस सभा के चुनाव में मतदान का समय मात्र 6 घंटे रखा गया है। मतदान केंद्र भी विजयनगर में बनाया गया है। इससे मतदान पर असर पड़ेगा।

पारदर्शी पेनल

सभापति-अरविंद मिश्रा, उप सभापति-कमलेश पांडे, उमाशंकर पांडे, जगदीश दीक्षित। मंत्री-विकास अवस्थी। सहमंत्री-उमेश पांडे। कोषाध्यक्ष-अखिलेश त्रिपाठी।

कार्यकारिणी-गीतांजलि वाजपाई, गायत्रीप्रसाद शुक्ला, संतोष तिवारी, प्रमोद अवस्थी, आलोक दीक्षित, लोकेश वाजपाई, संतोष शुक्ला, रमेश मिश्रा, संतोष मिश्र, आशुतोष दुबे, गौरव द्विवेदी, संस्कार पांडे, नीलेश तिवारी और पवन शुक्ला।

बाबूजी पैनल

सभापति संजय शुक्ला। मंत्री-अनूप वाजपाई। उपसभापति-राजेश्वरी तिवारी, सुरेंद्र वाजपाई, सुलेखा शुक्ला। कोषाध्यक्ष-यू.के. दीक्षित। सहमंत्री-अर्चना अवस्थी।

कार्यकारिणी-विभूति शुक्ला, सुनीता तिवारी, वंदना शुक्ला, प्रकाश मिश्रा, रामचंद्र दुबे, सतीश दुबे, प्रकाश वाजपाई, अनिल दुबे, सतीश पांडे, सच्चिदानंद द्विवेदी, ओमप्रकाश शुक्ला, आनंद मिश्रा, उमाशंकर चतुर्वेदी, दीपक शुक्ला।

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