नई दिल्ली। लैंसेट की हाल ही में जारी रिपोर्ट ने भारत की चिन्ता बढ़ा दी है। रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2000 से 2022 के बीच 197 देशों के लोगों पर स्टडी की गई थी। इसमें पाया गया कि साल 2022 में 52.6 प्रतिशत महिलाएं और 38.4 प्रतिशत पुरुष शारीरिक रूप से एक्टिव नहीं थे। लैंसेट ग्लोबल हेल्थ में प्रकाशित नए आंकड़ों के अनुसार, 42 प्रतिशत पुरुष की तुलना में 57 प्रतिशत ज्यादा महिलाएं शारीरिक रूप से इनएक्टिव हैं। सबसे चिंता की बात यह है कि भारतीय वयस्कों में फिजिकली इनएक्टिव होना साल 2000 में 22.3 प्रतिशत से तेजी से बढ़कर 2022 में 49.4 प्रतिशत पहुंच गया। इसका मतलब यह है कि हमारी आबादी का 60 प्रतिशत हिस्सा 2030 तक शारीरिक रूप से निष्क्रिय हो जाएगा। सही तरीके से शारीरिक गतिविधि नहीं होने की वजह से उसमें बीमारी का खतरा भी बढ़ेगा।
अपर्याप्त शारीरिक गतिविधि के मामले में भारत 195 देशों में 12वें पायदान पर है। दुनिया भर में, करीब एक तिहाई (31 प्रतिशत) वयस्क यानी कि करीब 1.8 बिलियन लोगों ने 2022 में शारीरिक गतिविधि के रिकमेंडेड स्तर को पूरा नहीं किया। रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर के 26.4 प्रतिशत वयस्क ही साल 2010 में शारीरिक रूप से इनएक्टिव थे। साल 2010 से 2022 जैसे ही हालात रहे तो शारीरिक गतिविधियों में 15% सुधार लाने का वैश्विक लक्ष्य हासिल करना बहुत ही मुश्किल है। रिसर्च में पाया गया है कि साल 2000 में 22 प्रतिशत से ज्यादा एडल्ट शारीरिक गतिविधियों में शामिल नहीं थे.,जबकि 2010 तक यह आंकड़ा 34 % तक पहुंच गया। रिसर्चर्स का अनुमान है कि अगर ऐसे ही गहालात बने रहे तो वो दिन दूर नहीं जब साल 2030 तक करीब 60 प्रतिशत एडल्ट फिजिकली अनफिट हो जाएंगे। रिसर्च में ये भी सामने आया है कि 60 साल की उम्र के महिलाएं और पुरुष शारीरिक गतिविधियों में कम एक्टिव हैं।
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