भाजपा पूरे प्रदेश में सदस्यता अभियान शुरू करने जा रही है। इसको लेकर गुरुवार को एक प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। इसमें ताई और भाई की मौजूदगी रही और दोनों ने सदस्यता अभियान को लेकर अपनी बात रखी। इस बैठक में ताई ने इशारों-इशारों में बता दिया कि आखिर भाजपा चला कौन रहा है?
ताई ने कहा कि मैं आठ बार चुनाव जीती, लेकिन सत्ता की सांसद दो बार रही। 13 दिन और 13 महीने की सरकार भी मैने देखी, लेकिन अब कार्यकर्ता भाग्यवान हैं। उनके कारण पार्टी ने विस्तार किया है, लेकिन राह आसान नहीं है। पार्टी को हमें और मजबूत करना है। ताई ने इंदौर में संगठन को इस स्तर तक लाने में भाजपा नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे की तारीफ भी कर दी।
ताई के बयान के अब कई मायने लगाए जाने लगे हैं। इसके कारण भी हैं। जब से नई सरकार बनी है और कुछ नेताओं को सत्ता का फिर से स्वाद चखने के मिला है तब से भाजपा कार्यकर्ताओं का मुंह कड़वा होता जा रहा था। चुने हुए जनप्रतिनिधियों को नहीं पूछना, कोई कार्यक्रम तय करते वक्त किसी की सलाह ना लेना और सिर्फ अपनी झांकी जमाने का सिलसिला सा चल पड़ा है।
सबसे खास यह कि यह बात सबको पता है। वरिष्ठ नेता से लेकर मंत्री जैसे पद पर बैठे नेता और छोटे कार्यकर्ता भी इसे महसूस करने लगे हैं। हालत यह हो गई कि चुने हुए जनप्रतिनिधियों में से कुछ ने प्रदेश के मुखिया डॉ.मोहन यादव तक यह बात पहुंचा दी। नतीजा यह निकला कि रायता ढोलने की लाख कोशिशों के बावजूद मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने इंदौर जिले का प्रभार अपने पास रख लिया। ऐसा कर उन्होंने इंदौर के वरिष्ठ भाजपा नेताओं से लेकर छोटे कार्यकर्ताओं तक का मान रख लिया।
आज जब ताई ने मंच से खुलकर कार्यकर्ताओं की तारीफ कर दी, तब खुद को भाजपा का सर्वेसर्वा समझने वाले कुछ नेताओं के कलेजे पर सांप जरूर लोट गया होगा। लेकिन यह भी तय है कि गौरव रणदिवे सरीखा भाजपा का सैकड़ों कार्यकर्ता आज प्रशिक्षण कार्यक्रम से सीना तान कर निकला होगा। ये नेता ऐसे हैं जिन्होंने खुद को किसी ना किसी खेमे से जोड़कर रखा, लेकिन नतीजा कुछ ना निकला। इसके बावजूद भाजपा संगठन के लिए समर्पित रहे। इसका फायदा न केवल भाजपा के सदस्यता अभियान को मिलेगा बल्कि इंदौर में भाजपा और मजबूत होगी।
मुख्यमंत्रीजी, ताईजी, आपने इंदौर शहर की नब्ज अब पकड़ ली है। इंदौर में एक राजनीतिक खालीपन आ गया था, उसे भरना जरूरी है और वह तभी संभव है जब भाजपा में कोई खेमा, कोई कोना और कोई सत्ता का केंद्र न बने।
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