मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा वोटों से जीतने वाले विधानसभा 2 के विधायक रमेश मेंदोला यानी दादा दयालु ने एक बार फिर अपने अंदाज में मुस्कुराते हुए अपनी दयालुता का परिचय दिया है। दादा की मेहनत का परिणाम है कि आज इंदौर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों प्रदेश के सबसे बड़े ईएसआईसी अस्पताल का लोकार्पण हुआ। नंदा नगर में बने इस अस्पताल का फायदा करीब 12 लाख कर्मचारियों को मिलेगा।
आज भले ही इस अस्पताल के वर्चुअल लोकार्पण पर दीप जलाने, भाषण देने और मंच पर बैठने कई नेता आ गए थे, लेकिन इंदौर के लोगों को पता है कि इसके पीछे किसकी मेहनत है। जब भी चुनाव होते हैं और आप जीत का एक नया रिकॉर्ड बनाते हो, आप के कार्यकर्ताओं की उम्मीदें बढ़ जाती हैं। इस बार के विधानसभा चुनाव में आपने भाजपा के ही सारे दिग्गज नेताओं को पीछे छोड़ सबसे ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की तो कार्यकर्ताओं को पूरा भरोसा हो गया कि दादा को इस बार मंत्रिमंडल में जरूर जगह मिलेगी, लेकिन इस बार भी पत्ता साफ।
कार्यकर्ताओं का यह भी कहना है कि दूसरे दलों से आए लोग लगातार मंत्री बन रहे हैं। कुछ नेता जो राष्ट्रीय हो गए थे, वे फिर से स्थानीय मैदान में आकर मंत्री की कुर्सी की शोभा बढ़ा रहे हैं। ऐसे में पार्टी हर बार आपको ही क्यों बिसार दे रही है?
आपके कार्यकर्ता अब इंतजार कर थकने लगे हैं। यह भी सबको पता है कि आखिर किसकी वजह से अंतिम समय में आपका नाम मंत्रिमंडल की सूची से गायब हो जाता है। वफादारी, ईमानदारी हर इंसान में होनी चाहिए, लेकिन इसकी भी एक सीमा होती है। आपके कार्यकर्ता ही कहने लगे हैं कि आखिर कब तक दादा किसी दूसरे के लिए अपनी इच्छाओं की बलि देते रहेंगे।
आपके कार्यकर्ता ही कहते हैं-भीड़ जुटानी हो तो दादा। किसी आयोजन में पैसे लगाने हों तो दादा। किसी के दुख-दर्द में शामिल होना हो तो दादा। लेकिन जब बात मंत्री पद की आती है तो सूची से गायब दादा ।
आप दूसरों की सुनते रहो, लेकिन अपने कार्यकर्ताओं और क्षेत्र की जनता का सुनना भी तो आपका फर्ज है। आपके कार्यकर्ता ही कहते हैं-दादा अपने लिए किसी को कुछ नहीं कहते…अरे, कब तक नहीं कहेंगे। जब कोई खुद समझने-सुनने को तैयार नहीं तो आपको मुंह तो खोलना ही पड़ेगा।
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