ट्रम्प अपनी नई पारी की शुरुआत धुआंधार अंदाज में करना चाहते है इसके पीछे वजह चाहे जो भी हो मगर एक के बाद एक कठोर, विवादस्पद बयानबाजी कर वो इसका संकेत भी दे रहे हैं
Published On :
24-Dec-2024
(Updated On : 24-Dec-2024 10:59 am )
Article By : Abhilash Shukla
abhilash shukla editor
ट्रंप का धुआंधार अंदाज: कठोर निर्णयों की शुरुआत
ट्रम्प अपनी नई पारी की शुरुआत धुआंधार अंदाज में करना चाहते है इसके पीछे वजह चाहे जो भी हो मगर एक के बाद एक कठोर, विवादस्पद बयानबाजी कर वो इसका संकेत भी दे रहे हैं ट्रम्प डोनाल्ड ट्रंप ने अपने बयानों और फैसलों से यह साफ संकेत दिया है कि वह अपने नए कार्यकाल की शुरुआत एक धुआंधार और आक्रामक अंदाज में करना चाहते हैं। चाहे वह पनामा नहर को लेकर अमेरिका के लिए शुल्क कम करने या नियंत्रण सौंपने की मांग हो, या फिर चीन और पने मित्र भारत पर कर बढ़ाने की धमकी, ट्रंप अपनी छवि को एक कठोर और राष्ट्रीय हितों के संरक्षक नेता के रूप में स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं। साथ ही, उनका बयान कि कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बनाया जा सकता है, उनके असाधारण और विवादास्पद दृष्टिकोण को दर्शाता है।
पनामा नहर विवाद
ट्रंप ने हाल ही में पनामा से स्पष्ट शब्दों में कहा है कि या तो नहर से गुजरने वाले अमेरिकी जहाज़ों पर शुल्क कम किया जाए या फिर इसका नियंत्रण अमेरिका को सौंप दिया जाए। यह बयान अमेरिका के पुराने प्रभुत्व की वापसी की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। पनामा के राष्ट्रपति होज़े राउल मुलिनो ने तुरंत इसका विरोध करते हुए पनामा की संप्रभुता और स्वतंत्रता पर जोर दिया। यह मुद्दा दोनों देशों के बीच कूटनीतिक तनाव को जन्म दे सकता है।इससे जाहिर है कि आने वाले समय में ये मुद्दा काफी गंभीर होने वाला है
चीन और भारत पर कर बढ़ाने का इरादा
ट्रंप ने पूर्व में यह भी संकेत दिया है कि वह चीन और भारत पर आयात शुल्क बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं। उनका दावा है कि दोनों देशों द्वारा अमेरिका के साथ व्यापार में असंतुलन पैदा किया जा रहा है। यह कदम चीन के बढ़ते आर्थिक प्रभाव को रोकने की कोशिश के रूप में देखा जा सकता है, जबकि भारत पर दबाव डालने का उद्देश्य अमेरिकी व्यापारिक हितों को प्राथमिकता देना है। हालांकि, इन कठोर नीतियों से वैश्विक व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका भी है।
कनाडा पर विवादास्पद बयान
ट्रंप ने कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बनाने की संभावना को लेकर बयान दिया, जो निश्चित रूप से एक हास्यास्पद और विवादास्पद विचार है। यह बयान भले ही राजनीतिक चाल के रूप में दिया गया हो, लेकिन यह कनाडा-अमेरिका संबंधों में अस्थिरता ला सकता है।
प्रभाव और संभावनाएं
ट्रंप के इन बयानों और निर्णयों के कई संभावित प्रभाव हो सकते हैं:
वैश्विक व्यापार में अस्थिरता: चीन और भारत पर कर बढ़ाने से अमेरिका और इन देशों के बीच व्यापारिक संबंध कमजोर हो सकते हैं। इसका असर वैश्विक व्यापार और निवेश पर भी पड़ सकता है।
कूटनीतिक तनाव: पनामा नहर को लेकर किए गए बयान से लैटिन अमेरिकी देशों में अमेरिका के खिलाफ नाराजगी बढ़ सकती है। यह अमेरिकी प्रभाव को कमजोर कर सकता है।
घरेलू समर्थन: ट्रंप के समर्थक उनके इस आक्रामक और राष्ट्रवादी रुख का स्वागत करेंगे। इससे उन्हें अगले चुनावों में राजनीतिक लाभ मिल सकता है।
अंतरराष्ट्रीय आलोचना: ट्रंप के कड़े और असामान्य फैसले अंतरराष्ट्रीय मंच पर अमेरिका को अलग-थलग कर सकते हैं।
डोनाल्ड ट्रंप अपने नए कार्यकाल की शुरुआत एक प्रभावशाली और धुआंधार अंदाज में करना चाहते हैं। उनके बयान और नीतियां यह दर्शाती हैं कि वह कठिन निर्णय लेने से नहीं हिचकते। हालांकि, इन निर्णयों के दूरगामी प्रभाव होंगे, जो न केवल अमेरिका की आंतरिक राजनीति बल्कि वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित करेंगे। ट्रंप के इन कदमों से यह तो साफ है कि उनका नेतृत्व शैली आक्रामक और असाधारण है, लेकिन यह देखना बाकी है कि क्या ये फैसले अमेरिका और दुनिया के लिए फायदेमंद साबित होंगे या इसके उलट।बहरहाल अब सभी को इन्तजार है ट्रम्प की नै पारी शुरू होने और उनके फैसलों के असर का
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