Published On :
26-Jan-2025
(Updated On : 26-Jan-2025 07:07 am )
Article By : Abhilash Shukla
abhilash shukla editor
गणतंत्र दिवस: भारतीय संविधान का गौरव और राष्ट्रीय पर्व
भारतीय संविधान हर भारतवासी के गौरव और स्वाभिमान का भी विषय है आजकल भारतीय संविधान और संविधान के निर्माता राजनीतिक अखाड़े के टूल बने हुए है हर राजनीतिक दल के अपने अपने दावे हैं हर राजनीतिक दल अपने आपको संविधान का रक्षक और संविधान निर्माता के प्रति अपनी निष्ठा जताने में लगा है देश में इन दिनों चहुँ ओर संविधान और संविधान निर्माता के नाम की गूँज है कोई रैली निकाल रहा है तो कोई अभियान चला रहा है हर कोई अपने अपने तरीके से इन्हें भुनाने की कोशिश में है और देश का नागरिक ये खेल देखने को विवश है बहरहाल ये तो हुई राजनीति की बात मगर इससे इतर बात करें तो आज का दिन 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस देशवासियों के लिए बेहद अहम् और उनके स्वाभिमान का भी दिन है, जो भारतीय संविधान के लागू होने और भारत को एक संपूर्ण गणराज्य घोषित करने की याद दिलाता है। यह दिन न केवल हमारे राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है, बल्कि यह हमें हमारे संविधान और लोकतंत्र की ताकत की भी याद दिलाता है।आइए इस दिन को एक बार फिर याद करें ........
भारतीय गणतंत्र की स्थापना
15 अगस्त 1947 को भारत ने स्वतंत्रता प्राप्त की, लेकिन उस समय देश का अपना संविधान नहीं था। भारत ब्रिटिश शासन से आज़ाद हुआ, लेकिन प्रशासन भारतीय सरकार अधिनियम 1935 के तहत चलाया जा रहा था। भारतीय संविधान सभा ने 29 अगस्त 1947 को डॉ. भीमराव अंबेडकर की अध्यक्षता में एक मसौदा समिति का गठन किया। इस समिति ने 2 साल, 11 महीने और 18 दिनों की मेहनत के बाद भारतीय संविधान तैयार किया। 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा ने इसे अपनाया, और यह 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ।
26 जनवरी का चुनाव एक ऐतिहासिक महत्व रखता है। 1930 में इसी दिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज की घोषणा की थी। इसलिए इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में चुना गया।
भारतीय संविधान: हमारी लोकतांत्रिक शक्ति का आधार
भारतीय संविधान विश्व का सबसे विस्तृत लिखित संविधान है। इसमें 22 भाग, 395 अनुच्छेद, और 12 अनुसूचियां शामिल हैं (मूल संविधान में)। यह न केवल भारतीय नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों को परिभाषित करता है, बल्कि देश के संघीय ढांचे, न्याय प्रणाली, और सरकार की कार्यप्रणाली को भी सुनिश्चित करता है।
संविधान का प्रस्तावना (प्रिएम्बल) हमारे गणतंत्र की मूल भावना को परिभाषित करता है। इसमें भारत को एक "संपूर्ण प्रभुत्वसंपन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य" के रूप में परिभाषित किया गया है। यह न्याय, स्वतंत्रता, समानता, और बंधुत्व की भावना को बढ़ावा देता है।
गणतंत्र दिवस समारोह
हर साल, गणतंत्र दिवस पर देशभर में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। दिल्ली के राजपथ पर होने वाली परेड इसका मुख्य आकर्षण है। इस परेड में भारतीय सेना, नौसेना, वायुसेना, और विभिन्न सांस्कृतिक झांकियां भाग लेती हैं। यह भारत की विविधता, समृद्ध संस्कृति, और सैन्य शक्ति को प्रदर्शित करता है।
राष्ट्रपति द्वारा झंडावंदन और 21 तोपों की सलामी के साथ परेड की शुरुआत होती है। इसमें बहादुरी पुरस्कार पाने वाले बच्चों, स्कूली बच्चों के कार्यक्रम, और भारतीय सेना के आधुनिक हथियार और उपकरण प्रदर्शित किए जाते हैं। यह परेड न केवल हमारी सैन्य ताकत का प्रदर्शन है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक विविधता और एकता का उत्सव भी है।
संविधान और नागरिकों का कर्तव्य
भारतीय संविधान ने हमें मौलिक अधिकार दिए हैं, जिनमें समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के खिलाफ अधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार, सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार, और संवैधानिक उपचार का अधिकार शामिल है।
लेकिन अधिकारों के साथ कर्तव्य भी आते हैं। हर भारतीय नागरिक का यह कर्तव्य है कि वह संविधान का पालन करे, राष्ट्र की एकता और अखंडता को बनाए रखे, और देश की प्रगति में योगदान दे।
गणतंत्र दिवस का महत्व
गणतंत्र दिवस केवल एक राष्ट्रीय अवकाश नहीं है; यह हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों, संविधान, और स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान की याद दिलाता है। यह हमें प्रेरित करता है कि हम अपने अधिकारों और कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करें और अपने देश को और मजबूत और समृद्ध बनाएं।
26 जनवरी का दिन हमें हमारे देश की स्वतंत्रता, संविधान, और लोकतांत्रिक व्यवस्था की महत्ता का स्मरण कराता है। यह दिन हर भारतीय के लिए गर्व और प्रेरणा का स्रोत है। आइए, इस गणतंत्र दिवस पर हम अपने संविधान के प्रति आदर व्यक्त करें और एक बेहतर भारत के निर्माण का संकल्प लें।
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