म्यांमार में गृह युद्ध: विद्रोही गुटों का नया मोड़;बांग्लादेश सीमा के पास विद्रोहियों का कब्जा
सेना के खिलाफ संघर्ष कर रहे विद्रोही गुटों ने रख़ाइन प्रांत से सटी बांग्लादेश की सीमा के पास के क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया है।
- Published On :
14-Dec-2024
(Updated On : 14-Dec-2024 07:35 am )
म्यांमार में गृह युद्ध: विद्रोही गुटों का नया मोड़;बांग्लादेश सीमा के पास विद्रोहियों का कब्जा
म्यांमार में पिछले कई वर्षों से जारी गृह युद्ध ने एक नया मोड़ ले लिया है। सेना के खिलाफ संघर्ष कर रहे विद्रोही गुटों ने रख़ाइन प्रांत से सटी बांग्लादेश की सीमा के पास के क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया है।
अराकान आर्मी का बीजीपी-5 बैरक पर नियंत्रण
विद्रोही गुट अराकान आर्मी ने रख़ाइन प्रांत में म्यांमार सैन्य सरकार के अंतिम बैरक बीजीपी-5 को अपने कब्जे में ले लिया है। इस दौरान कई म्यांमार सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया, जबकि कई की जान चली गई। बीजीपी-5 बैरक म्यांमार की बॉर्डर गार्ड पुलिस द्वारा इस्तेमाल किया जाता था और यह बांग्लादेश की सीमा के पास स्थित म्यांमार सेना का अंतिम बैरक था
आत्मसमर्पण और हमले
अराकान आर्मी के विद्रोही लड़ाकों ने सबसे पहले सैनिकों को आत्मसमर्पण का मौका दिया, लेकिन जब सैनिकों ने हथियार डालने से इनकार किया, तो विद्रोहियों ने बैरक पर हमला कर दिया।
विद्रोही गुटों का अभियान
म्यांमार में विद्रोही गुट पिछले कुछ समय से सेना के खिलाफ बड़े अभियान चला रहे हैं। हाल ही में, उन्होंने देश के पूर्वी हिस्से के एक बड़े क्षेत्र पर भी कब्जा कर लिया था।
ब्रदरहुड अलायंस: विद्रोही गुटों की ताक़त
म्यांमार में सक्रिय विद्रोही गुटों में तीन प्रमुख सशस्त्र समूह शामिल हैं, जो अलग-अलग जातीय समुदायों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन गुटों का संगठन ब्रदरहुड अलायंस कहलाता है। इसमें शामिल गुट हैं:
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म्यांमार नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस आर्मी (एमएनडीएए)
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तांग नेशनल लिबरेशन आर्मी (पूर्वी म्यांमार)
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अराकान आर्मी (पश्चिमी म्यांमार)
विद्रोहियों का उद्देश्य
पहले ये गुट अपने-अपने क्षेत्रों में अधिक स्वायत्तता के लिए लड़ाई लड़ते थे। लेकिन अब इनका लक्ष्य
म्यांमार की सैन्य सरकार को उखाड़ फेंकना है।
सैन्य सरकार के खिलाफ संघर्ष
म्यांमार सेना ने 2021 में देश की सत्ता पर कब्जा किया था। तब से लेकर अब तक सैन्य सरकार के खिलाफ विद्रोही गुटों का संघर्ष जारी है। यह संघर्ष अब और अधिक उग्र रूप ले चुका है, जो देश में शांति बहाली के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है।
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