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रेखा गुप्ता होंगी दिल्ली के नए मुख्यमंत्री, विधायक दल की बैठक में लगी मुहर, प्रवेश वर्मा होंगे डिप्टी सीएम

27 साल बाद दिल्ली की गद्दी पर भाजपा का कब्जा

नई दिल्ली। रेखा गुप्ता दिल्ली के नए सीएम होंगी। आज शाम हुई विधायक दल की बैठक में पार्टी के दोनों पर्यवेक्षक रविशंकर प्रसाद और ओम प्रकाश धनखड़ की उपस्थिति में उन्हें विधायक दल का नेता चुना गया। अरविंद केजरीवाल को हराने वाले प्रवेश वर्मा को डिप्टी सीएम बनाया गया, वहीं विजेंद्र गुप्ता स्पीकर बनेंगे। विधानसभा चुनाव परिणाम आने के करीब 11 दिन बाद दिल्ली को सीएम मिल पाया। 
रेखा गुप्ता बनिया समुदाय से आती हैं, जिसका दिल्ली में बड़ा वोट शेयर है। दिल्ली में पंजाबी लोग भी बड़ी संख्या में हैं और 2027 में पंजाब में विधानसभा चुनाव होने हैं। रेखा गुप्ता दिल्ली की शालीमार बाग विधानसभा सीट से विधायक हैं। वे दिल्ली भाजपा की महासचिव और भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं। 50 साल की रेखा गुप्ता दक्षिण दिल्ली नगर निगम की मेयर भी रह चुकी हैं। बात रेखा गुप्ता की पढ़ाई की करें तो उन्होंने एलएलबी की पढ़ाई की है। रेखा गुप्ता का जन्म हरियाणा के जींद जिले के जुलाना उपमंडल के नंदगढ़ गांव 1974 में हुआ था। रेखा गुप्ता पहली बार विधायक बनी हैं। रेखा गुप्ता ने शालीमार बाग विधानसभा सीट पर आम आदमी पार्टी की उम्मीदवार वंदना कुमारी को हराकर चुनाव जीता है। रेखा गुप्ता को कुल 68200 वोट मिले थे, जबकि आप की वंदना कुमारी 38605 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रही थी। यहां से कांग्रेस के प्रवीण कुमार जैन 4892 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर थे।
विद्यार्थी परिषद से शुरू किया सफर
रेखा गुप्ता जब दो साल की थीं तब उनका परिवार दिल्ली शिफ्ट हो गया। रेखा गुप्ता के पिता स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में मैनेजर थे। 1976 में पूरा परिवार दिल्ली शिफ्ट हो गया। रेखा गुप्ता की पूरी पढ़ाई लिखाई दिल्ली में हुई।  इसी दौरान वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ी और राजनीति में सक्रिय हुई। रेखा गुप्ता दिल्ली विश्वविद्यालय की सचिव और प्रधान भी रह चुकी हैं।
कल होगा शपथ ग्रहण
विधानसभा चुनाव रिजल्ट के 11 दिन बाद दिल्ली का सीएम तय हो पाया। मुख्यमंत्री की शपथ गुरुवार (20 फरवरी) को रामलीला मैदान में दोपहर 12:35 बजे होगी। दिल्ली के मुख्य सचिव की तरफ से भेजे गए निमंत्रण में मुख्यमंत्री के साथ मंत्रियों की शपथ का भी जिक्र है। पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा पहले ही साफ कर चुके हैं कि मुख्यमंत्री निर्वाचित विधायकों में से होगा। बैठक में कैबिनेट मंत्रियों के नाम की भी घोषणा हो सकती है। बुधवार को भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक हुई, जिसमें मुख्यमंत्री के संभावित नामों पर चर्चा की गई। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह और पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं ने सीएम के संभावित नामों पर चर्चा की। शपथ ग्रहण समारोह में पीएम मोदी भी शामिल होंगे और इस मौके पर वह दिल्ली की झुग्गी बस्तियों के प्रधानों से मिलेंगे। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोपहर 12:29 बजे रामलीला मैदान पहुंचेंगे। समारोह में दिल्ली की करीब 250 झुग्गी बस्तियों के प्रधानों को बुलाया गया है।
1993 की सत्ता में तीन बार बदले थे सीएम
दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा को 27 साल बाद मिली सफलता। बीजेपी ने पहली बार 1993 के विधानसभा चुनावों में दिल्ली में सत्ता हासिल की थी। उस समय पार्टी ने राम मंदिर आंदोलन की लहर में एकतरफा जीत हासिल की थी और मदन लाल खुराना दिल्ली में बीजेपी के पहले मुख्यमंत्री बने। हालांकि, इस दौरान पार्टी को चुनौतियों का सामना भी करना पड़ा। पार्टी को 5 साल के कार्यकाल में तीन बार मुख्यमंत्री बदलने पड़े। 1993 में बीजेपी ने मदन लाल खुराना को दिल्ली का मुख्यमंत्री नियुक्त किया, लेकिन हवाला कांड में शामिल होने के आरोपों की वजह से उनका कार्यकाल छोटा रहा। 1996 में उन्हें इस्तीफा देना पड़ा और इसके बाद साहिब सिंह वर्मा नए मुख्यमंत्री बने, लेकिन उन्हें भी प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से 1998 के चुनावों से कुछ महीने पहले पद छोड़ना पड़ा। फिर सुषमा स्वराज ने बीजेपी की तीसरी मुख्यमंत्री के रूप में पदभार संभाला, लेकिन इसके बाद हुए चुनावों में पार्टी के खराब प्रदर्शन की वजह से वापसी नहीं हो पाई और कांग्रेस ने सत्ता संभाली। कांग्रेस ने न केवल 1998 में बीजेपी से सत्ता छीन ली, बल्कि लगातार 15 साल तक शासन किया।
27 साल बाद 48 सीटों पर कब्जा
1993 में जब पहली बार बीजेपी ने दिल्ली में सरकार बनाई थी, उस समय भी 70 विधानसभा सीटों में से 49 सीटें जीती थीं और 27 साल तक सत्ता से बाहर रहने के बाद बीजेपी ने एक बार फिर वापसी करते हुए 48 सीटें जीती हैं। इस बीच राजनीतिक पंडितों ने पार्टी को 90 के दशक से सामने आई चुनौतियों का हवाला देते हुए साफ-सुथरी छवि वाले उम्मीदवार को चुनने का सुझाव दिया। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जिस तरह से बीजेपी 1993 से 1998 तक सीएम बदलने पड़े, पार्टी उस स्थिति से बचना चाहती है। यही वजह है कि भाजपा को सीएम के चयन में इतना समय लगाया। 


 

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