नई दिल्ली। एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ द्वारा उर्दू को लेकर की गई टिप्पणी पर पलटवार किया है। ओवैसी ने कहा कि यूपी के सीएम को उर्दू नहीं आती, तो वे वैज्ञानिक क्यों नहीं बन गए? योगी ने विधानसभा में कहा था कि सरकार शिक्षा सुविधा देना चाहती है तो सपा कहती है कि उर्दू पढ़ाओ। ये बच्चों को मौलवी बनाना चाहते हैं और देश को कठमुल्लापन की ले जाना चाहते हैं।
ओवैसी ने कहा कि यूपी के सीएम जिस विचारधारा से आते हैं, उस विचारधारा में से किसी ने भी देश की आजादी की लड़ाई में हिस्सा नहीं लिया। योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से आते हैं। रघुपति सहाय फिराक भी उसी गोरखपुर से आते हैं। वे एक प्रसिद्ध उर्दू कवि थे, लेकिन वे मुसलमान नहीं थे। सीएम योगी की टिप्पणी उनकी बौद्धिक क्षमता को दर्शाती है। ओवैसी ने कहा कि यूपी के सीएम को यह भी नहीं पता कि उर्दू उत्तर प्रदेश की संस्कृति का हिस्सा है। आरएसएस और बीजेपी के लोग नहीं जानते कि उर्दू को अन्य भाषाओं की तरह संविधान में संरक्षित किया गया है। वे नहीं जानते कि हर मुसलमान उर्दू नहीं बोलता, यह मुसलमानों की भाषा नहीं है। यह इस देश की आजादी की भाषा रही है। यह इस देश की भाषा है। भाजपा इस देश को एक भाषा, एक धर्म, एक विचारधारा और एक नेता के हिसाब से बनाना चाहती है।
विधानसभा में यह बोले थे योगी
उत्तर प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र के पहले दिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समाजवादी पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा था कि सपा अपने बच्चों को इंग्लिश मीडियम स्कूलों में पढ़ाएगी और जब सरकार आम जनता के बच्चों को बेहतर सुविधाएं देने की बात करती है, तो ये लोग उर्दू थोपने की वकालत करने लगते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सपा देश को कठमुल्लापन की ओर ले जाना चाहती है, जो कतई स्वीकार्य नहीं होगा।
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