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मणिपुर हिंसा पर लेटर पॉलिटिक्स ;खड़गे के बाद अब नड्डा का लेटर 

 मणिपुर हिंसा को लेकर लेटर पॉलिटिक्स जोरों पर है खड़गे ने राष्ट्रपति को पत्र लिखा तो अब नड्डा ने खड़गे को पत्र लिख कांग्रेस को ही जिम्मेदार ठहराया

मणिपुर हिंसा पर लेटर पॉलिटिक्स ;खड़गे के बाद अब नड्डा का लेटर 

मणिपुर में जारी हिंसा को लेकर हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष  मल्लिकार्जुन खड़गे  ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर मणिपुर में हस्तक्षेप  की बात कही थी चिट्ठी में खड़गे ने केंद्र सर्कार को घेरा था वहीं मणिपुर के हालात का विवरण करते हुए  लिखा था पिछले 18 महीनों से मणिपुर में जारी संकट में 300 से अधिक लोगों की जान चली गई है जिनमें महिलाएं, बच्चे और नवजात तक शामिल हैं. इस संकट की वजह से राज्य में लाखों लोग बेघर हो गए हैं और राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं.इसके अलावा कई अन्य बाते कही थीं 

 

 खड़गे के पत्र के बाद अब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने खड़गे को पत्र लिखा है पत्र में नड्डा ने कांग्रेस को ना सिर्फ खरी खरी सुनाई बल्कि मणिपुर के हालात के लिए कांग्रेस को ही जिम्मेदार ठहराया है नड्डा ने लिखा, इस साल की शुरुआत में जब  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मणिपुर में हिंसा के मुद्दे को संबोधित कर रहे थे, तब आप और आपकी पार्टी ने जिस अपमानजक और गैर-जिम्मेदाराना तरीके से  वॉकआउट किया था, उसे देखने के बाद इस मुद्दे पर राष्ट्रपति को आपका पत्र हैरान करने वाला है। कांग्रेस के नेताओं की ओर से राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पर अनगिनत अपमानजनक टिप्पणियां की गई हैं, फिर भी आपके पत्र को देखकर खुशी हुई कि आपकी पार्टी ने भारत के सर्वोच्च संवैधानिक पद और उस पर बैठे प्रतिष्ठित व्यक्ति को कुछ तो सम्मान दिखाया है।हालांकि, मुझे यह जवाब देने की आवश्यकता इसलिए महसूस हो रही है, क्योंकि आपके शब्दों में जो गलत, झूठा और राजनीतिक रूप से प्रेरित संदेश है, उसे छिपाने में आप असफल रहे हैं। ऐसा लगता है कि आप आपकी पार्टी और कांग्रेस सरकार दोनों ने 90 के दशक में और यूपीए सरकार के समय किए गए गलत फैसलों को भूल रही है। मैं आपकी पार्टी को याद दिलाना चाहता हूं कि कांग्रेस की इस बड़ी नाकामी के परिणाम आज मणिपुर में महसूस किए जा रहे हैं। नड्डा ने कहा, पिछले दस वर्षों में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में हमारे पूर्वोत्तर क्षेत्र ने हर क्षेत्र में बड़ा बदलाव देखा है, चाहे वह अर्थव्यवस्था हो, सुरक्षा, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा या विकास के अवसरों तक पहुंच हो। हमारे पूर्वोत्तर में गोलीबारी और विस्फोट रोजमर्रा की बात बन गए थे,वहां देश की आजादी के बाद वहां पहली बार शांति, समृद्धि और प्रगति देखी जा रही है। 

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