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प्रभारी खनिज अधिकारी जयदीप नामदेव ने एक पंचर पकाने वाले को बना दिया खनिज माफिया, अब मिलकर लगा रहे सरकार को चूना

पाल के सहयोग से नामदेव ने इंदौर की कई खदानों में कर रखी है पार्टर्नशिप

इंदौर। खनिज माफियाओं के खिलाफ फर्जी कार्रवाई कर सरकार को 140 करोड़ रुपए का चूना लगाने वाला प्रभारी खनिज अधिकारी जयदीप नामदेव खुलेआम अवैध उत्खनन करने वालों को संरक्षण देते जा रहे हैं। नामदेव के संरक्षण में कभी पंचर पकाने वाले गौरव पाल इंदौर का बड़ा खनिज माफिया बन बैठा है। गौरव पाल की खदानों की संख्या के साथ ही इनके गड्‌ढों की गहराई भी बढ़ती जा रही है। अवैध रूप से उत्खनन कर सरकार को करोड़ों का राजस्व पहुंचाने वाले पाल के खिलाफ नामदेव ने आजतक कोई एक्शन नहीं लिया।

सूत्र बताते हैं कि जयदीप नामदेव के दो खास खनिज माफिया -गौरव पाल और विक्की अग्रवाल हैं। ये दोनों नामदेव के संपर्क में आए और बेटमा क्षेत्र के खदानों से रुपए की वसूली नामदेव के लिए करने लगे। लगभग तीन-चार साल में इन्होंने करोड़ों की संपत्ति खड़ी कर ली है। पाल के ग्राम रंगवासा, तहसील देपालपुर के सर्वे क्रमांक 62/1/2/1 पर दो हेक्टेयर की खदान स्वीकृत है। यहीं पर रवि किशन पिता सुदामा यादव के सर्वे क्रमांक 62/1/2/2 साढे चार हेक्टेयर खदान तथा अतुल कंस्ट्रक्शन के अतुल अग्रवाल के सर्वे क्रमांक 125/1/3 रकबा 2.300 हेक्टेयर खदान है। यह दोनों खदान वर्तमान में गौरव पाल के नाम से ही है। सूत्र बताते हैं कि खनिज माफिया गौरव पाल द्वारा रंगवासा में 12 हेक्टेयर से अधिक सरकारी जमीन पर कब्जा कर अवैध उत्खनन किया जा रहा है। अतुल अग्रवाल की खदान को अपने नाम कराने के बाद गौरव पाल ने सौ-सवा सौ फुट गहरे गड्‌ढे कर दिए हैं और रायल्टी नाममात्र की कटी है। इससे मध्यप्रदेश शासन को करोड़ों रुपए की राजस्व हानि हो रही है। अवैध खनन से कमाए गए पैसों का बंटवारा नामदेव और खनिज माफियाओं के बीच बराबर-बराबर होता है। इसका प्रमाण वहां के गड्‌ढे नापकर किया जा सकता है।

एडीएम के आदेश के बाद भी नोटिस नहीं

पूर्व में भी एडीएम ज्योति शर्मा और गौरव बैनल एडीएम ने रंगवासा के सभी पट्‌टेदारों को गड्‌ढे नापने का नोटिस जारी किया था, किन्तु गौरव पाल की खदानों को कोई भी नोटिस जारी नहीं हुआ। यह सब नामदेव के कारण हुआ। रंगवासा में पाल को दी गई सभी खदानों में स्वीकृत एरिया से ज्यादा भूमि पर अवैध उत्खनन प्रभारी अधिकारी नामदेव की सांठगांठ से हो रहा है। इनकी स्वीकृत खदानों के अलावा आसपास कब्जा की हुई 12 हेक्टेयर जमीन पर भी अवैध उत्खनन के गड्‌ढे नापकर दंड किया जाए तो मध्यप्रदेश शासन को करोड़ों रुपए की राजस्व की प्राप्ति होगी।

नामदेव की कई खदानों में पार्टनरशिप

सूत्र बताते हैं कि प्रभारी खनिज अधिकारी नामदेव ने गौरव पाल और विक्की अग्रवाल के सहयोग से कई खदानों में पार्टनरशिप कर रखी है। गौरव पाल आज अपने पैसे और राजनीतिक संरक्षण के दम पर कहता है कि उसके खिलाफ कोई जांच नहीं हो सकती। पाल को नामदेव का खुला संरक्षण प्राप्त होने के कारण वह रंगवासा की खदानों में लगातार अवैध उत्खनन कर सरकार को करोड़ों की रायल्टी और जीएसटी का नुकसान पहुंचा रहा है।

लुणावत का अपडेटेड वर्जन निकले नामदेव

इंदौर के भ्रष्ट खनिज अधिकारी संजय लुणावत का जब ट्रांसफर हुआ था तो अफसरों को लगा कि विभाग से गंदगी दूर हो जाएगी। इसके बाद जयदीप नामदेव को प्रभारी खनिज अधिकारी बना दिया गया, लेकिन यह तो लुणावत के अपडेटेड वर्जन निकले। लुणावत अगर 2.0 वर्जन थे, तो नादेव 4.0 वर्जन साबित हुए। इतना ही नहीं सहायक खनिज अधिकारी सीएस डामोर भी कोई कम नहीं हैं, वे भी लुणावत से आगे यानी 3.0 वर्जन हैं।

आखिर कौन दे रहा नामदेव को संरक्षण

यहां सवाल यह उठता है कि नामदेव को आखिरी किस नेता या अधिकारी संरक्षण प्राप्त है। जांच में दोषी पाए जाने के बाद भी प्रभारी अधिकारी बन बैठे। इसके बाद सीधी ट्रांसफर हो गया, फिर भी इंदौर में कब्जा जमाकर बैठे हैं। और तो और इतना कुछ होने के बाद भी सरकार को चूना लगाकर खनिज माफियाओं को खुलेआम फायदा पहुंचाने के खेल बदस्तूर जारी है।

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