नई दिल्ली। सरकार मतदाता पहचान पत्र को आधार से लिंक करने की तैयारी कर रही है। इसके लिए अगले सप्ताह अहम बैठक होने वाली है। इस बैठक में केंद्रीय गृह मंत्रालय, कानून मंत्रालय और भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण के बड़े अधिकारी शामिल होंगे। ईसी सूत्रों ने बताया कि यह बैठक आधार को वोटर आईडी कार्ड से जोड़ने के बारे में होगी।
उल्लेखनीय है कि 2021 में जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 में संशोधन के बाद, आधार को वोटर आईडी जोड़ने की अनुमति मिल गई थी। इसके बाद चुनाव आयोग ने स्वैच्छिक आधार पर मतदाताओं से आधार नंबर लेना शुरू कर दिया। हालांकि, अभी तक दोनों डेटाबेस को लिंक नहीं किया गया है।इस कदम का मकसद वोटर लिस्ट से फर्जी नाम हटाना और उसे साफ-सुथरा बनाना था। इसके लिए आधार और वोटर कार्ड को जोड़ना जरूरी नहीं था। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार, चुनाव आयुक्त सुखबीर सिंह संधू और चुनाव आयुक्त विवेक जोशी 18 मार्च को केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन, विधायी विभाग के सचिव राजीव मणि और UIDAI के सीईओ भुवनेश कुमार से मिलेंगे।
डुप्लीकेट वोटर कार्ड पर मचा है बवाल
संसद के भीतर और बाहर जिस डुप्लीकेट वोटर कार्ड (ईपीआईसी) के नंबरों को लेकर जमकर बवाल हो रहा है। साथ ही राजनीतिक दल इसके जरिये चुनाव आयोग की वैधता पर ही सवाल उठे हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी यह मुद्दा उठाया था। बीते शुक्रवार को चुनाव आयोग (ईसी) ने कहा था कि वह दशकों पुरानी डुप्लिकेट मतदाता पहचान पत्र (ईपीआईसी) नंबरों की समस्या को अगले तीन महीने में हल कर लेगा। पश्चिम बंगाल में सत्ताधारी दल तृणमूल कांग्रेस ने कई राज्यों में डुप्लिकेट मतदाता पहचान पत्र नंबरों का मुद्दा उठाया और चुनाव आयोग पर कवर-अप का आरोप भी लगाया है। टीएमसी के एक प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को कोलकाता में चुनाव आयोग के अधिकारियों से मुलाकात की और एक ही मतदाता फोटो पहचान पत्र (ईपीआईसी) नंबर के बारे में अपनी शिकायतें दर्ज कराईं।
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