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मोदी सरकार 3 का पहला बजट, अर्थव्यवस्था की नींव पुख्ता करने की कोशिश

रोजगार, कृषि और आयकरदाताओं पर दिया ध्यान

प्रमोद भार्गव, वरिष्ठ पत्रकार (मध्यप्रदेश)

प्रमोद भार्गव

वरिष्ठ पत्रकार

इस आम बजट की तीन खास बातें हैं, जो रोजगार से लेकर अर्थव्यवस्था को मजबूत करने वाली साबित हो सकती हैं। एक कृषि, दो रोजगार और तीन आयकर दाताओं को राहत। इसीलिए इस बजट को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमृत काल के संदर्भ में महत्वपूर्ण मानते हुए कहा है कि यह आम बजट पांच साल के लिए हमारी दिशा तय करने के साथ ही 2029 तक विकसित भारत की आधारशिला रखने में अहम भूमिका निभाता रहेगा। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने खेती में उत्पादकता, बेरोजगारों को नामी कंपनियों में प्रशिक्षण देते हुए पांच हजार रुपए की परिश्रमिक राशि कि आर्थिक सहायता और बाजार को बढ़ावा देने की दृष्टि से कर सारणी में करप्रदाताओं को राहत। इसके अलावा समग्र मानव संसाधन विकास, ऊर्जा सुरक्षा, ढांचागत विकास, शोध-अनुसंधान जैसे विषयों को प्राथमिकता देते हुए बजट प्रावधान किया गया है।

युवाओं को रोजगार देश में इस समय एक बड़ी समस्या के रूप में देखी जा रही है। उच्च एवं तकनीकी शिक्षा में दक्ष होने के बावजूद रोजगार दूर की कौड़ी बना हुआ है। इस समस्या के समाधान के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण पहल करते हुए रोजगार और कौशल प्रशिक्षण से जुड़ी पांच योजनाओं के लिए दो लाख करोड़ रुपए का बजट तय किया है। पांच वर्षों में 4 करोड़ 10 लाख युवाओं के लिए दक्षता प्राप्त करने हेतु 500 स्थापित कंपनियों में प्रशिक्षण दिया जाएगा। इन युवकों को केंद्र सरकार पांच हजार रुपए प्रतिमाह सीधे खाते में जमा कराएगी।

इस बजट में किसान और कृषि की स्थिति को मजबूत बनाने के नजरिए से 1.52 लाख करोड़ रुपए का बजट प्रस्तावित है। पिछले वर्ष इस मद में 1.25 लाख करोड़ रुपए दिए गए थे। अतएव अब 25000 करोड़ रुपए अतिरिक्त दिए गए हैं। पांच राज्यों में नए किसान क्रेडिट कार्ड जारी किए जाएंगे। हालांकि किसानों को फसल पर दी जाने वाली सब्सिडी पर इस बजट में कोई नया प्रावधान नहीं है। किसान एमएसपी के लिए अर्से से कानूनी रूप देने की मांग कर रहे हैं। यदि इसे कानूनी रूप दे दिया जाता है तो करीब 17 लाख करोड़ रुपए वार्षिक अतिरिक्त खर्च आएगा, नतीजतन देश की अर्थव्यवस्था चौपट हो जाएगी। किसान उन्हीं फसलों को उगाएंगे, जिन पर ज्यादा सब्सिडी मिलेगी और जिनकी बाजार में मांग ज्यादा होगी। ऐसे में मोटे अनाज, जिनमें पोशक तत्व अधिक होते हैं, उन्हें किसान खेतों में नहीं बोएंगे जबकि बीमार होते देश के लिए मोटे अनाज आज की जरूरत बन गई है।

इस बजट में आम करदाता को खुश रखने की कोशिश की गई है, इसलिए कर सारणी में सुधार किया गया है। अब तीन लाख की आमदनी पर कोई कर नहीं लगेगा। तीन से सात लाख रुपए की आय पर पांच फीसदी, सात से दस लाख पर 10 फीसदी, दस से बारह लाख पर 15 फीसदी, बारह से पन्द्रह लाख पर 20 फीसदी और पन्द्रह लाख से अधिक आय पर 30 प्रतिशत कर लगेगा। जो कि करदाताओं के लिए एक बड़ी राहत है। इससे बाजार में पैसे की तरलता बढ़ेगी और व्यापारियों को आर्थिक लाभ होगा।

 

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