इदौर। भाजपा पार्षद शानू उर्फ नितिन शर्मा पर दो दिन पहले बुधवार को एक लड़की ने रेप का केस दर्ज कराया था। चूंकि आरोपी भाजपा के कुछ बड़े नेताओं से जुड़ा हुआ था, जाहिर है पुलिस को वह कैसे मिलता? केस दर्ज होने के बाद से ही आरोपी को बचाने की कोशिश शुरू हो गई, इसी यह चर्चा होने लगी थी कि आरोप लगाने वाली लड़की अब अपने बयान से मुकरने जा रही है।
सूत्र बताते हैं कि द्वारकापुरी पुलिस रेप का केस दर्ज होने के बाद एक ही बार शानू के घर उसके बारे में पूछताछ करने के लिए गई थी। इसके बाद दोबारा पुलिस ने गिरफ्तारी को लेकर कोई कवायद नहीं की। इस बीच शुक्रवार से ही खबरें चलने लगीं कि दोनों पक्षों में समझौता हो गया है। पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि हमने तो एफआईआर दर्ज कर ली है। इस मामले में शानू की गिरफ्तारी का प्रयास कर रहे हैं। हमें समझौते की कोई खबर नहीं लगी है। हां, समझौते की बात सुन जरूर रहे हैं।
क्या इस तरह बनता रहेगा कानून का मजाक
यहां सबसे बड़ा सवाल है कानून का? क्या एक युवती किसी पर खुलेआम इस तरह का आरोप लगा सकती है? अगर कोई नाराजगी की बात कही जा रही है तो मामला थाने तक कैसे पहुंचा? और अगर थाने तक पहुंच भी गया तो छोट-मोटे मामले में तुरंत गिरफ्तारी करने वाली पुलिस हाथ पर हाथ धरे कैसे बैठे रही? आखिर उस पर किसका दवाब था? उसे यह कैसे पता चला कि समझौता होने वाला है? यहां सवाल यह है कि इस तरह के आरोप लगाने वाली युवती पर भी क्या कार्रवाई नहीं होनी चाहिए?
दोषी अधिकारियों पर भी हो कार्रवाई
थाने में नेता और पुलिस अधिकारियों की सांठगांठ हमेशा से चलती रही है। आम आदमी के लिए सारे कानून हैं, लेकिन नेताओं के लिए कुछ नहीं। वे जब चाहें किसे भी पकड़वा दें और जब मर्जी किसी को छुड़वा लें। इससे पुलिस की छवि भी खराब होती है। वरिष्ठ अधिकरियों को चाहिए कि इस मामले में लेटलतीफी करने वाले पुलिस अधिकारियों पर भी कार्रवाई करें। इस मामले की जांच तो होनी ही चाहिए कि आखिर आरोपी को क्यों नहीं गिरफ्तार किया गया? अगर आरोपी नहीं मिला तो उसे पकड़ने के प्रयास कितनी बार किए गए?
आखिर क्या कर रहे हैं भाजपा नेता?
आश्चर्य की बात तो यह है कि हमेशा नैतिकता की दुहाई देने वाले भाजपा के नेता भी इस मुद्दे पर चुप बैठे रहे। महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा था कि मामले की जांच पूरी होने के बाद ही उचित कार्रवाई की जाएगी। शानू शर्मा विधायक मालिनी गौड़ का समर्थक है और उनकी सिफारिश पर ही उसे टिकट भी मिला था। हालांकि कुछ समय से शानू की गौड़ परिवार से अनबन की खबरें भी आ रही हैं। सूत्र बताते हैं कि कुछ दिन पहले शानू के घर पर एक संत का आगमन हुआ था। उस समय मंत्री कैलाश विजयवर्गीय दर्शन के लिए शानू के घर गए। इस पर गौड़ परिवार ने शानू को फटकार लगाई और दोनों के बीच तनाव बढ़ गया। जब महिला का मामला सामने आया, तो एक गुट ने शानू पर कार्रवाई रुकवाने की कोशिश की, जबकि गौड़ समर्थक कार्रवाई की मांग कर रहे थे। पुलिस शायद इसी दवाब में हाथ पर हाथ धरे बैठी रही।
कांग्रेस ने किया था प्रदर्शन
पार्षद की गिरफ्तारी की मांग को लेकर इंदौर शहर महिला कांग्रेस ने राजबाड़ा पर पुतला दहन किया था। इंदौर शहर महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिला मिमरोट भाटिया ने कहा था कि ऐसी घटनाएं समाज के लिए शर्मनाक हैं और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की गई है। उन्होंने सरकार और कानून व्यवस्था से इस मामले की निष्पक्ष जांच कराने और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने की मांग की है।
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