इंदौर जिले के प्रभारी बनने के बाद सीएम डॉ.मोहन यादव शहर हित में कई अनोखे फैसले ले रहे हैं। सीएम की मंशा है कि शहर के विकास में किसी तरह की बाधा नहीं आए। चाहे व प्रशासनिक बाधा हो या राजनीतिक या फिर कानून-व्यवस्था की। पिछले कुछ समय से जो फैसले हो रहे हैं, उससे स्पष्ट है कि सीएम इंदौर की हर बीमारी को समझ चुके हैं।
यही वजह है कि इंदौर में अधिकारियों की पदस्थापना में भी सीएम विशेष रुचि ले रहे हैं। जब ओएसडी की नियुक्ति की बात आई तो उन्होंने अपने चहेते अफसर इंदौर के पुलिस कमिश्नर राकेश गुप्ता को भोपाल बुला लिया। अब सवाल था कि इंदौर में गुप्ता की जगह किसे भेजा जाए, जो आज की परिस्थितियों में इंदौर को संभाल सके। फिर सीएम ने उज्जैन के आईजी संतोष सिंह को इंदौर भेज दिया, जो इस शहर में पहले भी रह चुके हैं और अपने सख्त निर्णयों के लिए पहचाने जाते हैं।
संतोष सिंह के पुलिस कमिश्नर बनने से उन नेताओं, गुंडों और दलालों को जरूर झटका लगा है जो इंदौर की कानून-व्यवस्था को अपनी जेब में लेकर चल रहे थे। राकेश गुप्ता ने भी इन पर नकेल कसनी शुरू कर दी थी, लेकिन अब यह सिलसिला और बढ़ जाएगा। संतोष सिंह को सीएम ने फ्री हैंड देकर भेजा है और उन्हें इंदौर के कतिपय नेताओं के दबाव में नहीं काम करना पड़ेगा। वे इंदौर में डीआईजी रह चुके हैं और उस कार्यकाल के दौरान भी अंधे कत्ल का पर्दाफाश करने के साथ भूमाफियाओं पर भी नकेल कसी थी।
संतोष सिंह के कामकाज का तरीका ही अलग है। वे सीएम यादव की तरह सीधा और साफ बोलने वाले हैं। जो काम नहीं करना होगा, वह उनसे कोई करा नहीं सकता और जो करना होगा वह वे कर के ही दम लेंगे। इंदौर में रहने के दौरान उन्होंने अपना नेटवर्क काफी मजबूत कर लिया था, इसलिए स्थानीय स्तर पर उनकी जबरदस्त पकड़ है। इसका फायदा इस कार्यकाल में होगा।
सिंह की नियुक्ति के लिए पहले भी शहर के कुछ नेताओं ने प्रयास किए थे, लेकिन एक वरिष्ठ नेता के कारण उनकी नियुक्ति नहीं हो पा रही थी। अब जबकि सीएम ने पूरी ताकत देकर उन्हें इंदौर की कमान सौंपी है, निश्चित तौर पर कानून-व्यवस्था में जबरदस्त सुधार देखने को मिलेगा।
इन दिनों कहा जाता है कि टीआई और सीएसपी लेवल पर कुछ भी अच्छा नहीं चल रहा है। आम लोगों से लेकर विधायक तक इसकी शिकायत सीएम से कर चुके हैं। संतोष सिंह के आने से अब बिचौलियों का यह नेटवर्क टूटेगा और निचले स्तर के अधिकारी भी अलर्ट रहेंगे। पुलिस पर दबाव बनाने वाले कुछ स्थानीय नेताओं को भी अब संतोष करना पड़ेगा।
संतोष सिंह की नियुक्ति शहर हित में सीएम का बहुत बड़ा फैसला है। इससे सीएम ने इंदौर में अपनी पकड़ और मजबूत की है और उन नेताओं का मुंह भी बंद किया है जो खुद कानून व्यवस्था बिगाड़ कर शोर मचा रहे थे।
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