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आईडीए के शिकंजे से छूटी स्कीम 171 भूमाफियाओं के गोद में गिरी, पुष्प विहार के अध्यक्ष चतुर्वेदी के इस्तीफे से उठते सवाल

भूमाफियाओं ने पुष्प विहार के प्लॉटधारकों के नाम से भर दिए 5 लाख 90 हजार ज्यादा रुपए

इंदौर। इंदौर विकास प्राधिकरण ने योजना क्रमांक 171 छोड़ तो दी, लेकिन उसे पूरी तरह भूमाफियाओं के हवाले कर दिया। आईडीए ने उन संस्थाओं से भी पैसे भरवा लिए जो जमीन सरेंडर कर चुके थे। इतना ही नहीं किसका पैसा, किसने भरा इसकी जानकारी भी नहीं ली गई। अब ऐसी शिकायतों के निराकरण के लिए एक इन्क्वायरी कमेटी बनाई गई है, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकलने वाला। इसी बीच पुष्प विहार भूखंड धारक समूह के अध्यक्ष महेंद्र कुमार चतुर्वेदी के इस्तीफे ने भी कई सवाल खड़े कर दिए हैं। 
सूत्र बताते हैं कि चतुर्वेदी ने भूमाफियाओं की सक्रियता के कारण ही इस्तीफा दिया है। वे पिछले 15 साल से इंदौर विकास प्राधिकरण के चंगुल से इस योजना को निकालने के लिए संघर्ष कर रहे थे। स्कीम 171 तो मुक्त हो गई, लेकिन जब विकास शुल्क भरने की बारी आई तो भूमाफियाओं की सक्रियता नजर आने लगी। इस स्कीम की दूसरी कॉलोनियों की तरह ही भूमाफियाओं ने यहां भी पैसे भर दिए। इसका नतीजा यह निकला की पुष्प विहार कॉलोनी की तरफ से 5 लाख 90 हजार रुपए ज्यादा आईडीए में जमा हो गए।
सचिव मिश्रा की भूमिका पर सवालिया निशान
स्कीम 171 छूटने के बाद से ही यहां भूमाफियाओं ने मनमाने तरीके से प्लॉट बेचने और खरीदने शुरू कर दिए। इसमें पुष्प विहार संघर्ष समिति के वर्तमान सचिव आरके मिश्रा की भूमिका संदिग्ध है। एक ऐसी संस्था जो रजिस्टर्ड भी नहीं है और जिसे सिर्फ प्लॉटधारकों की भलाई के लिए बनाया गया था, मिश्रा ने इसका दुरुपयोग शुरू दिया। बताया जाता है कि उन्होंने ही भूमाफियाओं से पैसे भरवा दिए और अब प्लॉटों की खरीद-बिक्री में पूरी तरह सक्रिय हो गए हैं। स्कीम छूटने से पहले ही मिश्रा ने यहां कुछ मकान भी खड़े करवा दिए। इसमें स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत देवेंद्र रघुवंशी का मकान भी विवादों में रहा है। खास बात यह कि रघुवंशी खुद तो मकान बना ही रहा है, मिश्रा के साथ मिलकर दूसरों को भी मकान बनाने में मदद कर रहा है।  
पहले भी हो चुकी है मिश्रा की शिकायत
सूत्र बताते हैं कि आरके मिश्रा की पहले भी शिकायत हो चुकी है। एक पूर्व कलेक्टर के सामने मिश्रा की शिकायत हुई थी। आईडीए अधिकारियों से लेकर पुष्प विहार के पूर्व अध्यक्ष चावड़ाजी से मिश्रा बदतमीजी कर चुके हैं। मिश्रा ने आईडीए की एनओसी का फर्जी फॉर्मेट भी जारी कर दिया था और उसके नाम पर लोगों से पैसे मांगने लगे थे। तब आईडीए को कहना पड़ा था कि उसने कोई फॉर्मेट जारी नहीं किया है। बताया जा रहा है कि मिश्रा ने पूरी तरह भूमाफियाओं के हाथ खेलना शुरू कर दिया है। चतुर्वेदी ने अपने इस्तीफे में लिखा भी है कि अब भूखंडधारियों का नेतृत्व मिश्रा जी करते रहेंगे। सूत्र बताते हैं कि मिश्रा की गतिविधियों से तंग आकर ही चतुर्वेदी ने इस्तीफा दिया है। 
आईडीए की कमेटी क्या कर पाएगी जांच?
स्कीम 171 में विकास शुल्क के नाम पर पैसे भरवाने में आईडीए ने जो फर्जीवाड़ा किया है, उसकी जांच के लिए कमेटी तो बना दी गई है लेकिन इसकी राह इतनी आसान नहीं। भुगतान को लेकर कई शिकायतें आईडीए, प्रशासन और सहकारिता विभाग को मिली हैं। इनमें से कुछ संस्थाओं के खिलाफ तो नामजद शिकायत की गई है, जिनमें देवी अहिल्या गृह निर्माण संस्था है। इनके खाते से पैसे ट्रांसफर किए गए हैं, लेकिन जो पैसे एमपी ऑनलाइन से नकद पैसे देकर भरवाए गए हैं, उसका हिसाब आईडीए कहां से निकालेगा। 
आईडीए ने ही दी भूमाफियाओं को छूट
इस पूरे प्रकरण में आईडीए ने ही भूमाफियाओं को एक बार फिर से धोखाधड़ी करने की छूट दी है। आईडीए ने विकास शुल्क भरने के लिए जो डिमांड निकाली वह पूरी तरह गलत थे। उनमें ऐसी संस्थाओं के नाम भी थे जिन्होंने जमीन सरेंडर कर दी थी। इसी तरह कुछ प्लॉटधारकों के नाम से डिमांड निकाली गई, जहां पहले से ही कॉलोनी बसी हुई है। पुष्प विहार में भी ऐसा ही हुआ है। कई प्लॉट ऐसे थे, जहां डायमंड इन्फ्रा, देवी अहिल्या तथा श्रीराम बिल्डर्स के प्लॉटधारक रहते हैं। जाहिर है इनका पैसा भूमाफियाओं ने ही भरा। 
सरेंडर जमीनों के पैसे का होना था बंटवारा
आईडीए को संस्थाओं द्वारा सरेंडर जमीनों का पैसा प्लॉटधारकों के बीच बराबर बांट कर डिमांड निकालनी थी, लेकिन आईडीए ने ऐसा नहीं कर भूमाफियाओं को फिर से लूट का मौका दिया। लोगों को यह डर था कि अगर पैसा जमा नहीं हुआ तो फिर से स्कीम अटक जाएगी, इसलिए इस मामले में दलालों और भूमाफियाओं पर किसी ने आपत्ति नहीं उठाई। 
पूर्व सीएम की कवायद को भी बता दिया धत्ता
स्कीम 171 एक उदाहरण है कि अधिकारी किस तरह सरकार पर हावी रहते हैं। इस योजना में पुष्प विहार कॉलोनी के 950 भूखंडधारकों को तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान ने प्लॉट दिए थे। सीएम डॉ.मोहन यादव का भी भूमाफियाओं के प्रति सख्त रवैया है, इसके बावजूद स्कीम 171 में जो कुछ भी हो रहा है उससे स्पष्ट है कि सहकारिता विभाग और आईडीए के आगे सरकार की नहीं चलती। 
चतुर्वेदी बोले-हमारा काम खत्म हो गया
पुष्प विहार भूखंड धारक समूह के अध्यक्ष महेंद्र कुमार चतुर्वेदी से जब उनके इस्तीफे के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हमारा काम अब खत्म हो गया है। हमने 15 साल इस स्कीम को आईडीए से छुड़ाने के लिए संघर्ष किया। अब स्कीम छूट गई है, तो हमारा काम नहीं बचा। वैसे भी यह संस्था प्लॉटधारकों के संघर्ष के लिए बनाई गई थी, जिसका रजिस्ट्रेशन भी नहीं है। इसलिए हम कोई कानूनी कवायद तो नहीं कर सकते। वैसे भी यह काम मजदूर पंचायत गृह निर्माण संस्था का है। 
अन्य शिकायतों के निराकरण के लिए पुलिस-प्रशासन, आईडीए, सहकारिता और कोर्ट है ही।
संभागायुक्त ने कहा-शिकायतों की जांच होगी
संभागायुक्त और वर्तमान में इंदौर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष दीपक सिंह ने कहा है कि स्कीम 171 में भुगतान को लेकर काफी शिकायतें मिली है। इनकी जांच के लिए इन्कवायरी कमेटी बना दी गई है। यह सभी शिकायतों की जांच करेगी। 

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