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पीसी सरकार से भी बड़े जादूगर निकले पिंटू छाबड़ा, सभी विभागों की आँखों के सामने से निकाल ले गए सी-21 बिजनेस पार्क की जमीन

गृह मंत्री से शिकायत के बाद शुरू हुई जांच में खुल रही हैं परतें

इंदौर। जादूगर पीसी सरकार के बारे में कहा जाता था कि वे ट्रेन तक गायब कर देते थे। हमारे यहां के जमीन के जादूगर भी उनसे कम नहीं हैं। अब इंदौर के मॉल मालिक गुरजीत सिंह उर्फ पिंटू छाबड़ा को ही ले लीजिए, वे इतने बड़े जादूगर हैं कि रेडिसन चौराहे पर बने सी-21 बिजनेस पार्क की जमीन सभी विभागों के आंखों के सामने से निकाल ले गए। उनके सम्मोहन विद्या का जादू ऐसा चला कि सहकारिता, टीएनसीपी, आईडीए, नगर निगम, जिला प्रशासन जैसे विभागों को कुछ पता ही नहीं चला। अब गृह मंत्री से शिकायत के बाद जब जांच शुरू हो गई है तो कई परतें खुलती जा रही हैं।

उल्लेखनीय है कि गृह मंत्री अमित शाह से की गई शिकायत में ग्राम खजराना तहसील व जिला इन्दौर म.प्र. के पटवारी हल्का नं. 16 में स्थित सर्वे नं. 33 रकबा 2.75 एकड तथा सर्वे नं. 28/2 रकबा 1.84 एकड़ का जिक्र किया गया था। शिकायतकर्ता ने कहा है कि उसके पार्टनर ने बाले-बाले उक्त भूमि तृष्णा गृह निर्माण सहकारी संस्था मर्या. इन्दौर को हस्तांतरित कर दी। तृष्णा गृह निर्माण सहकारी संस्था ने वह जमीन चुघ हाउसिंग एंड डेवलपर्स, मेसर्स बेबीलान इन्फ्रास्ट्रक्चर्स प्रा.लि. हरियाणा और तीन अन्य लोगों को बेच दी, जिसका उसे कोई  वैधानिक अधिकार नही था। अब इस पर सी-21 बिजनेस पार्क बन चुका है। शिकायत के बाद जब जांच शुरू हुई तो पता चला कि तृष्णा संस्था का रजिस्ट्रेशन तो 2018 में ही निरस्त हो चुका है।

सहकारिता विभाग ने जारी किया नोटिस

सहायक आयुक्त सहकारिता जीएस परिहार ने बताया कि गृह मंत्री के आदेश के बाद जांच शुरू कर दी गई है। शिकायकर्ता, जमीन के क्रेता और लिक्विडेटर को नोटिस जारी कर दिया गया है। गृह निर्माण संस्था ने सदस्यों के लिए जमीन खरीदी, लेकिन प्राइवेट कंपनियों को बेच दी। अब इस मामले की जांच की जाएगी कि जमीन क्यों और किस आधार पर बेची गई। सभी के बयान लेंगे। यह भी पता लगाएंगे कि किसकी परमिशन से जमीन बेची। परिहार ने बताया कि अभी संबंधित विभागों को नोटिस जारी किया गया है, जवाब आने के बाद जांच आगे बढ़ेगी।

बंद संस्था का ऑडिट नोट भी गायब

जिस समय तृष्णा गृह निर्माण संस्था का निलंबन निरस्त हुआ, उस समय सरकार का आदेश था किसी भी संस्था को डिजॉल्व नहीं किया जाए। इसके बावजूद तृष्णा को डिजॉल्व कर दिया गया। अब सूत्र बताते हैं कि सहकारिता विभाग में तृष्णा संस्था के ऑडिट नोट भी नहीं मिल रहे। इस संबंध में जब सहायक आयुक्त परिहार से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इसकी जानकारी उन्हें नहीं है। इसका जवाब सहायक आयुक्त ऑडिट ही दे पाएंगे।

भूमाफिया अभियान में भी बच निकली जमीन

मध्यप्रदेश सरकार ने जोरशोर से भूमाफिया अभियान चलाया। इसमें इंदौर के कई भूमाफिया अंदर हो गए। कई जमीनों के मामले सामने आए, लेकिन तृष्णा गृह निर्माण संस्था और बेबीलोन की जमीन का मामला तब भी पर्दे के पीछे छुपा रहा। बताया जाता है कि यह जमीन आईडीए की स्कीम 53 का भी हिस्सा रही है। जो पहले से ही विवादों में है। इस योजना को लेकर 2023 में भी लोगों ने आईडीए में प्रदर्शन किया था। एक तरफ तो यहां के प्लॉटधारकों को एनओसी नहीं दे रहा था, लेकिन बेबीलोन की जमीन पर उसने कोई आपत्ति नहीं ली।

नगर निगम से भी छुपाई सच्चाई

बेबीलोन ने नगर निगम से भी यह बात छुपाई कि यह जमीन तृष्णा गृह निर्माण संस्था की है। यहां सवाल यह भी है कि नगर निगम ने यहां नक्शे की मंजूरी देते समय यह क्यों नहीं पता किया कि जमीन किसकी और किस उद्देश्य की है। इस मामले में आईडीए, नगर निगम, टीएनसीपी, सहकारिता सहित सारे विभाग जांच के घेरे में हैं। आखिर कैसे कोई भूमाफिया एक साथ सभी विभागों की आँखों में धूल झोंक सकता है।

आईडीए ने कैसे दे दी एनओसी

इस मामले में इंदौर विकास प्राधिकरण की भूमिका भी कम संदिग्ध नहीं है। आखिर इस विवादित जमीन पर आईडीए ने एनओसी कैसे दे दी। जब इस संबंध में एचबीटीवी न्यूज ने आईडीए अधिकारियों से पूछा तो वे बगले झांकने लगे। अब आईडीए में भी फाइलों की तलाशी शुरू हो गई है।

बेबीलोन में मनमाने तरीके से बदलते रहे डायरेक्टर

मॉल मालिक पिंटू छाबड़ा बेबीलोन में मनमाने तरीके से डायरेक्टर बदलते रहे हैं। 2008 में खुद गुरजीत सिंह पिंटू छाबड़ा डायरेक्टर बन गया, वहीं 2009 में अपनी पत्नी प्रभोजोत कौर छाबड़ा को डायरेक्टर बना दिया। 2013 में अपने बेटे करण सिंह छाबड़ा को एडिशनल डायरेक्टर बनाया। इसी तरह 2015 में बेटी रिया छाबड़ा को भी डायरेक्टर बना दिया। अगर ठीक से जांच की जाए तो बेबीलोन कंपनी में भी भारी पैमाने पर गड़बड़ी सामने आएगी।

मॉल मालिक के दामाद भी कम नहीं

मॉल मालिक पिंटू छाबड़ा के कारनामे काफी चर्चा में रहे हैं। एबी रोड पर चाय व्यापारियों की जमीन पर मॉल खड़ा करने के बाद उनके हौसले और बुलंद हो गए और उन्होंने इंदौर में सभी भू माफियाओं को पीछे छोड़ने की ठान ली। कई बार उनके खिलाफ शिकायत हुई। मामले पकड़े भी गए, लेकिन मैनेज करते रहे। यहां तक कि शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में कई भूमाफियाओं को जेल भेजा गया, लेकिन पिंटू छाबड़ा बचे रहे। मॉल मालिक के दामाद वरुण पुरी भी कुछ कम नहीं हैं। कॉलोनाइजर दामाद वरुण पुरी के खिलाफ हरियाणा और दिल्ली में दर्जनों केस दर्ज हुए तो पिंटू छाबड़ा ने उन्हें इंदौर में छुपा कर रखा, लेकिन दिल्ली पुलिस यहां से गिरफ्तार कर ले गई थी।

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