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सफाई में सात बार नंबर वन लाने के बाद अब शहर को ‘चांद’ के बराबर खड़ा करने की तैयारी में निगम

बारिश में शहर की बदहाल हालत पर HBTV NEWS के न्यूज हेड हरीश फतेहचंदानी का कॉलम

-हरीश फतेहचंदानी

 सफाई में सात नंबर वन आने वाले इंदौर शहर की हालत इन दिनों देखी नहीं जाती। बाहर से कोई मेहमान जब आता है और सड़कों और शहर की हालत देख उसे भरोसा ही नहीं होता कि यही शहर सफाई के लिए जाना जाता है। चारों तरफ गंदगी, सड़कों के जानलेवा गड्‌ढे, पाइप लाइन, मेट्रो, फ्लाईओवर के लिए खुदी सड़कों ने इस बार बारिश में शहर की सूरत ही बिगाड़ कर रख दी है।

नगर निगम दावे तो बड़ी-बड़ी करता है, लेकिन बारिश उसके सभी दावों की कलई खोलकर रख देती है। इस बार शहर की अच्छी से अच्छी सड़क को निगम ने बारिश से पहले ही बिगाड़ कर रख दिया है। निगम अफसरों की बेवकूफियों के चलते नई से नई बनी सड़क को भी नाला टैपिंग, नर्मदा पाइपलाइन के लिए खोद दिया गया। चलो माना कि आपकी बुद्धि में पाइप डालने का ख्याल सड़क बनने के बाद आया होगा, लेकिन खोदने के बाद मरम्मत तो ढंग से कर देते। जब लोग हो-हल्ला मचाते हैं तो गड्‌ढे को जैसे-तैसे भरकर अफसर और ठेकेदार औपचारिकता पूरी कर लेते हैं। नतीजा हल्की बारिश में ही वहां जानलेवा गड्‌ढा हो जाता है।

शहर के लोगों के लिए निगम ने दोहरी मुसीबत खड़ी कर दी है। गड्‌ढे झेलने की आदत तो लोगों को है, लेकिन इस बार जगह-जगह हुई खुदाई ने कीचड़ भी जबरदस्त कर दिया। जहां-जहां निर्माण कार्य चल रहे हैं, वहां आसपास सड़कों पर मिट्‌टी फैल जाती है, जिसमें दोपहिया वाहन चलाना तो दूर पैदल चलना भी दूभर हो गया है। बच्चे-बूढ़े-महिलाएं हर दिन फिसलकर गिर रहे हैं।

ताज्जुब तो तब होता है कि यह पता होते हुए भी फलां-फलां इलाके की सड़कों पर गड्‌ढे हैं, बारिश से पहले इनकी मरम्मत क्यों नहीं की गई। क्या नगर निगम के अफसर, इंजीनियर, पार्षद और महापौर शहर की किसी भी वार्ड में किसी भी कॉलोनी की कोई एक ऐसी सड़क बता सकते हैं जहां बारिश में बिना फिसले या गिरे पैदल या वाहन से चला जा सकता है।

शायद नगर निगम इस बार शहर को सफाई में  सात सितारे दिलाने के बाद इसे चांद के पास ले जाने की तैयारी में है। तभी तो चांद की तस्वीर जैसे गड्‌ढे वाली सड़कें शहर में दिखाई देने लगी हैं।

अरे, जनता के वोटों से गाड़ी में हूटर बजाकर घूम रहे पार्षदों, जनता के पैसे से मस्ती छान रहे अफसरों-इंजीनियरों क्या आपको ऐसी सड़कों पर चलना अच्छा लगता है? माना की गाड़ी में सवार होकर चलते हो, लेकिन आंखें तो खुली रहती होंगी ना?

निगम के जिम्मेदारों शहर की इस हालत पर आपको भले ही शर्म नहीं आती हो, लेकिन यहां के नागरिक जरूर शर्मिंदा हैं। अभी तो बारिश का बहाना है। हो सके तो बारिश खत्म होते ही थोड़ी शर्म आप भी कर लेना...सात बार सफाई में नंबर वन आए इस शहर की लाज शायद बच जाए… 

 

 

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