इंदौर। मध्यप्रदेश के सीएम डॉ.मोहन यादव ने आज इंदौर में शहर हित में बीआरटीएस हटाने का बड़ा ऐलान किया है। जब से वे इंदौर के प्रभारी बने हैं, तब से शहर के विकास की रफ्तार भी तेज हुई है और कई ऐसे फैसले भी हुए हैं, जो लंबे समय से लंबित थे। सीएम यादव ने कहा कि भोपाल के बाद इंदौर के बीआरटीएस को हटाने का फैसला भी लिया जा रहा है। इसके लिए शहर के जनप्रतिनिधियों ने मांग की है। कोर्ट में भी सरकार की तरफ से इस संबंध में पक्ष रखा जाएगा।
सीएम ने कहा कि भोपाल में बीआरटीएस हटाने से यातायात में सुविधा मिली है। इंदौर के लोगों से भी शिकायतें मिल रही हैं जो भी तरीका लगाना पड़ेगा, हटाएंगे। कोर्ट के सामने भी हम अपना पक्ष रखेंगे। सब लोगों की परेशानी को ध्यान में रखते हुए हमने निर्णय लिया है उम्मीद है कि इसके सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे। सीएम ने कहा कि शहर की ट्रैफिक समस्या को ओवरब्रिज बनाकर दूर करेंगे। इसके लिए भी बीआरटीएस को हटाना ही पड़ेगा। जनप्रतिनिधि लगातार मुझसे इस संबंध में कह रहे थे। सब लोगों की परेशानी को देखते हुए यह निर्णय किया है, जिसके सकारात्मक परिणाम आएंगे।
पहले के जनप्रतिनिधियों ने नहीं दिया ध्यान
जब बीआरटीएस बन रहा था तब भी इंदौर के जनप्रतिनिधियों ने इस पर ध्यान नहीं दिया। उस समय के कई दिग्गज जनप्रतिनिधि जो आज भी पावर में हैं, लेकिन जनता की समस्या उन्हें नजर नहीं आई। वे बीआरटीएस से जुड़ी हर बैठकों में शामिल होते रहे, लेकिन कभी इसको हटाने को लेकर कोई राजनीतिक दबाव बनाने की कोशिश नहीं की।
गौरव को मिला मालिनी, मनोज और गोलू का साथ
भोपाल में बीआरटीएस हटाने के फैसले के बाद इंदौर के लोगों की उम्मीद भी बंधी थी, लेकिन ऐसा कुछ हो नहीं पाया। सूत्र बताते हैं कि नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे ने सीएम के सामने यह मामला उठाया था। गौरव ने इससे हो रही परेशानियों का जिक्र करते हुए कहा कि इसे हटा दिया जाना ही उचित होगा। विधायक मालिनी गौड़, मनोज पटेल और गोलू शुक्ला भी साथ थे। सभी ने एक स्वर से गौरव की बात का समर्थन किया। मालिनी गौड़ ने कहा कि वे पहले भी इस मामले को उठा चुकी हैं। मनोज पटेल ने भी हां में हां मिलाई। गोलू शुक्ला ने भी पूरी ताकत से गौरव की बात का समर्थन किया।
सीएम के प्रभारी बनने के बाद बदले समीकरण
जब से सीएम यादव ने इंदौर का प्रभार अपने पास लिया है तब से यहां के राजनीतिक समीकरण भी पूरी तरह से बदल गए हैं। कुछ नेता जो फिर से सत्ता में वापसी के बाद इंदौर को अपनी जागीर समझने लगे थे और उल्टे-सीधे फैसले करवाने पर तुले थे उन पर अब अंकुश लग चुका है। एक तरह से वे इंदौर के राजनीतिक परिदृश्य से एक विधानसभा क्षेत्र विशेष तक सीमित कर दिए गए हैं। इसका फायदा यह हुआ कि सीएम तक जनता की बात पहुंचने लगी और फैसले भी होने लगे। इसी का नतीजा है इंदौर शहर की ट्रैफिक व्यवस्था की धज्जियां उड़ाते बीआरटीएस पर इस तरह का फैसला हो पाया।
10 साल पहले 300 करोड़ में बना था
उल्लेखनीय है कि करीब 10 साल पहले इंदौर में 11 किलोमीटर लंबा बीआरटीएस 300 करोड़ में बना था। इंदौर के बीआरटीएस की सबसे बड़ी खराबी थी एलआईजी से व्हाइट चर्च चौराहे तक बॉटल नेक होना। इसके कारण इस हिस्से में शाम के समय हर दिन जाम की स्थिति बनती रही। यह हिस्सा लगभग छह किलोमीटर का है। देश में कई स्थानों पर बीआरटीएस असफल होने के बाद इन्हें हटाने का फैसला पहले ही लिया जा चुका है।
फैसला जबलपुर हाई कोर्ट से होगा
निरंजनपुर से राजीव गांधी प्रतिमा तक बने बीआरटीएस पर अंतिम फैसला अब जबलपुर हाईकोर्ट में होगा। हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने बीआरटीएस प्रोजेक्ट को लेकर चल रही दोनों जनहित याचिकाएं हाई कोर्ट की मुख्य पीठ (जबलपुर) ट्रांसफर कर दी है। प्रदेश सरकार अब वहां अपना पक्ष रखेगी और उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही बीआरटीएस को हटाने के पक्ष में फैसला आएगा।
??????? ??????? (????? ?????), 30-Nov--0001 12:00 AM
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