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इंदौर में इलाज कराने आया आसाराम खुद ही करने लगा ‘भक्तों’ का ‘इलाज’, आखिर ‘झांसा’ में कैसे आ जाते हैं लोग?

दुष्कर्म के एक अपराधी की आरती उतार आखिर समाज में क्या संदेश देना चाहते हैं आप?

इंदौर। दुष्कर्म के आरोप में जेल की सजा काट रहा एक आरोपी इंदौर आता है और उसके सारे पाप बिना संगम में नहाए ही धुल जाते हैं। उसके चाहने वाले फिर से टूट पड़ते हैं और उसी आसाराम के झांसा में लोग फिर उसके आश्रम पहुंच जाते हैं। उसकी आरती उतारी जाती है। जमानत की शर्तों के खिलाफ जाकर वह फिर से भगवान बन जाता है लोगों को प्रवचन देने लगता है।

यह अपने देश की अजीब विडंबना है। एक और दुष्कर्म का आरोपी बाबा है राम रहीम। कोर्ट सजा सुना चुकी है, जेल में बंद है लेकिन भक्त हैं कि मानते नहीं। वह भी ऐसे-वैसे भक्त नहीं, ऐसे भक्त जो उसके कहने पर किसी भी राजनीतिक दल का चुनावी गणित बिगाड़ देते हैं। इसीलिए उसे हर चुनाव में पैरोल पर बाहर लाया जाता है। वह आश्रम में जाता है और वोटों का गणित लगाकर चुनाव बाद फिर जेल जाता है। हरियाणा और पंजाब के चुनाव में तो उसका बाहर आना तय ही रहता है, इस बार तो दिल्ली चुनाव में भी उसे बाहर लाया गया।

समाज और परिवार का कैसे कर पा रहे सामना?

खैर, आसाराम की स्थिति राम-रहीम से थोड़ी अलग है, लेकिन ताज्जुब इस बात का है कि लोग एक सजायाफ्ता मुजरिम की आरती कैसे उतारने लगते हैं? वह भी ऐसे जुर्म के आरोपी की जिसे समाज में सबसे घृणित अपराधों मे शामिल किया जाता है। बुरा तो लगेगा, लेकिन मेरा आरती उतारने, चरण रज लेने और प्रवचन सुनने वाले भक्तों से एक सवाल है कि जरा दिल पर हाथ रख कहिए-आप जो कर रहे हैं उसका आपके परिवार और समाज पर क्या असर पड़ेगा? क्या आप अपने बच्चों के सामने इसी दुष्कर्मी का आदर्श प्रस्तुत करेंगे? अगर आपका बच्चा यह सवाल ही पूछ दे कि यह बाबा तो जेल में रेप केस में बंद थे, इनकी आरती क्यों उतार रहे तो आप क्या जवाब देंगे?

एक दुष्कर्म के आरोपी के लिए इतना प्यार

12 साल से जेल में बंद दुष्कर्म के एक आरोपी के लिए आपका प्यार देख ताज्जुब होता है? ताज्जुब तो तब भी होता है जब आप आसाराम के जन्मदिन पर प्रभातफेरी निकालने से भी नहीं चूकते। पत्रिकाएं निकालकर घरों में बांटने में भी आपको संकोच नहीं होता। और तो और एक दुष्कर्म के आरोपी के स्कूल में अपने बच्चों को पढ़ने भेजने में भी आप को लज्जा नहीं आती। पता नहीं कौन सी पट्‌टी आपने अपनी आंखों पर बांध रखी है।

जमानत की शर्तें भी भूल गए आसाराम

सुप्रीम कोर्ट ने 7 जनवरी को गांधीनगर (गुजरात) के आश्रम में महिला अनुयायी से रेप के मामले में आसाराम को 31 मार्च तक जमानत दी है। इसके बाद 14 जनवरी को राजस्थान हाईकोर्ट ने जोधपुर रेप केस में भी आसाराम को 31 मार्च तक अंतरिम जमानत दे दी। इस दौरान उसे देश के किसी भी आश्रम में रहने और इलाज कराने की अनुमति दी गई है, चाहे वह हॉस्पिटल में हो या आश्रम में। फिलहाल वह 31 मार्च 2025 तक अंतरिम जमानत पर है। कोर्ट ने जमानत देते समय अनुयायियों से सार्वजनिक रूप से मिलने की सख्त मनाही की थी, इसके बाद भी वह लोगों से मिल रहा है और प्रवचन भी दे रहा है।

 

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