लखनऊ। महिलाओं या बच्चों के खिलाफ अपराध करने के बाद अग्रिम जमानत के जरिए खुलेआम घूमने की कोशिशें यूपी में सफल नहीं हो पाएंगी। योगी सरकार इनसे जुड़े अपराधों में अग्रिम जमानत का प्रावधान खत्म करने के लिए नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 482 में बदलाव करने जा रही है। इसके बाद महिलाओं, बच्चों या नशे से जुड़े विभिन्न अपराधों के मामलों में अग्रिम जमानत नहीं हो सकेगी।
सोमवार को योगी कैबिनेट ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 482 में बदलाव को मंजूरी दे दी है। इसके लिए अध्यादेश लाया जाएगा। अग्रिम जमानत की व्यवस्था पहले दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 438 में थी। इस कानून की जगह अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 ने ले ली है। इसकी धारा 482 में अग्रिम जमानत का प्रावधान है। इसमें पॉक्सो एक्ट और भारतीय न्याय संहिता के तहत बलात्कार के अपराधों में अग्रिम जमानत पर रोक लगाई गई है। यूपी ने इसमें संशोधन के जरिए महिला-बच्चों से जुड़े और अपराधों को भी अग्रिम जमानत की परिधि से बाहर करने का फैसला किया है, जिससे पीड़ितों को धमकाने या यौन अपराध से जुड़े साक्ष्यों को प्रभावित न किया जा सके।
योगी सरकार ने कई और गंभीर अपराधों को अग्रिम जमानत की परिधि से बाहर करने का फैसला किया है। इसमें विधि विरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम (UAPA) भी शामिल हैं। ड्रग्स सहित नशे से जुड़े अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए बने नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट, 1985 (NDPS) और अपराधियों पर नकेल कसने के लिए गैंगेस्टर एक्ट को भी अग्रिम जमानत के अपवादों में शामिल किया गया है। गवर्नमेंट सीक्रेट एक्ट में पकड़े जमाने पर भी अग्रिम जमानत का फायदा नहीं मिल सकेगा। वहीं, यूपी विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम के तहत आने वाले अपराधों में भी अग्रिम जमानत नहीं मिलेगी। इस कानून को खासतौर पर 'लव जिहाद' रोकने
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