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जरा नजरिया बदलकर तो देखिए जनाब…आज भी तोप से मुकाबले को तैयार है मीडिया

HBTV NEWS के न्यूज हेड हरीश फतेहचंदानी का कॉलम-सच कहता हूं

 

हर साल 16 नवंबर को राष्ट्रीय प्रेस दिवस मनाया जाता है। इस बार भी मनाया जा रहा है। सोशल मीडिया पर शुभकामनाओं का सिलसिला जारी है। कई आयोजन भी हो रहे हैं। इस दिवस का आयोजन भारतीय प्रेस की स्वतंत्रता के प्रतीक के तौर पर किया जाता है। आज ही के दिन 1966 में प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया का गठन हुआ था। हमारी आजादी के 77 साल पूरे हो चुके हैं। ऐसे में आज के दिन यह विचार करना जरूरी है कि आखिर हमारा प्रेस कितना स्वतंत्र हो पाया है?

जब भी अखबारों यानी मीडिया की बात होती है तो मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी का यह शेर याद आता है-

खींचो कमान, तलवार निकालो,

जब तोप मुकाबिल हो तब अखबार निकालो।

इस शेर को आज के मीडिया के संदर्भ में सोचें तो पहली नजर में ऐसा लगता है कि अब हम तोप का मुकाबला नहीं कर सकते। जबकि ऐसा नहीं है। आज भी ऐसे मीडिया हाउसेस या ऐसे पत्रकारों की कमी नहीं है जो अपनी कलम की नोंक से तोप को उड़ाने का माद्दा रखते हैं। लेकिन, कुछ ताकतें हैं जो उनकी कलम की नोंक को भोथरा बना देती हैं।

जब भी कोई युवा इस फील्ड में आता है तो देश और समाज के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा उसके पास होता है। नौकरियां तो लाखों हैं, जिनमें आराम से 8 घंटे की नौकरी के बाद चैन की जिंदगी जी सकते हैं। जरा इस फील्ड की सोचिए जहां दिन-रात का पता नहीं चलता। तीज-त्योहार तो दूर अपने बच्चे का बर्थडे तक नहीं मना पाते। ऐसे पत्रकारों को सिर्फ खबर से वास्ता रहता है। देशहित में समाज हित में एक सामान्य पत्रकार न तो कोई खबर छुपाना चाहता है और न दबाना। फिर ऐसा क्या है जो मीडिया को कभी ‘गोदी’ तो कभी ‘यलो’ का तमगा दे दिया जाता है।

सच तो यह है कि मीडिया घराने पत्रकार को अपनी कलम की धार कमजोर करने के लिए मजबूर करते हैं। छोटे अखबार से लेकर न्यूज चैनल के मालिक तक नेताओं के साथ दांत फाड़कर सेल्फी खिंचवाने में कोई संकोच नहीं करते। लेकिन, एक सामान्य पत्रकार का इनसे कोई लेना-देना नहीं है। वह तो किसी की चाय पीना भी उचित नहीं समझता।

ऐसे में आप सबको एक ही नजर से नहीं देख सकते। अगर आप सही, सटीक और निष्पक्ष पत्रकारिता चाहते हैं तो आपको अपना नजरिया भी बदलना होगा। आपको यह जानना होगा कि कौन आपके लिए चौथे स्तंभ की भूमिका निभा रहा है। कौन आपके हितों का रखवाला है और किसकी कलम किसी भी ताकत या सत्ता से नहीं डरती।

ऐसे लोगों का साथ दीजिए…इन्हें पहचानिए…सच कहता हूं फिर आपको पत्रकारिता और पत्रकारों को कोसने की जरूरत नहीं पड़ेगी और निष्पक्ष पत्रकारिता को भी ताकत मिलेगी…भारतीय प्रेस दिवस की शुभकामनाएं

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