सरकार के लिए चिंता का विषय बन रहे रेल हादसे
नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल में हाल ही के दिनों में दो ट्रेन के बीच हुए टक्कर ने एक बार फिर से रेलवे कवच को सुर्खियों में ला दिया है। वहीं, इन हादसों को लेकर रेल मंत्रालय अब सतर्क हो गया है। मंत्रालय इसको गंभीरता से लेते हुए रेल हादसों को शून्य करने की दिशा में मिशन मोड में काम कर रहा है।
वहीं, इसी क्रम में रेल मंत्री अश्विनी ने नई दिल्ली स्थित रेल भवन में 22 जून को स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली कवच 4.0 के उन्नत संस्करण की प्रगति की समीक्षा की। अधिकारियों ने सोमवार को कहा कि 3.2 वर्जन वाले कवच को उच्च घनत्व वाले मार्गों पर लगाया जा रहा है।
समीक्षा के दौरान रेल मंत्री को कवच 4.0 के उन्नत संस्करण पर एक प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। कवच 4.0 की समीक्षा करने के बाद उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि रेडी होने के बाद इसको जल्द से जल्द मिशन मोड में योजनाबद्ध तरीके से इंस्टाल कराया जाए। वहीं, रेलवे ने कहा कि कवच पर पूरी तरह अमल के बाद रेल दुर्घटनाओं को रोकने में मदद मिलेगी।
कवच स्वचालित ट्रेन प्रोटेक्शन तकनीक है। रेलवे ने चलती ट्रेनों को हादसे से बचाने के लिए स्वदेशी तकनीक से इसे विकसित किया है। लोको पायलट की लापरवाही या ब्रेक लगाने में विफल होने पर कवच अपने आप सक्रिय हो जाता है और चलती ट्रेन में ब्रेक लगाकर हादसे के खतरे को पूरी तरह टाल देता है।
यह दो स्थितियों में प्रभावी तरीके से हादसों को रोकता है। अगर दो ट्रेनें एक ही पटरी पर आमने-सामने आ रही हैं तो लगभग चार सौ मीटर के फासले पर दोनों ट्रेनों में अपने आप ब्रेक लग जाएगा। दूसरा, यदि कोई ट्रेन किसी अन्य ट्रेन के पीछे से आ रही है और सुरक्षित दूरी को क्रास कर गई है तो कवच उसे भी आगे नहीं बढ़ने देता है। इसके अतिरिक्त चलती ट्रेन के रास्ते में रेडलाइट या गेट आ जाएगा तो कवच उसकी गति पर भी ब्रेक लगा देता है।
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