ध्वजारोहण और झंडा फहराने में है खास अंतर,मायने भी हैं अलग
१५ अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोहण किया जाता है और २६ जनवरी को झंडा फहराया जाता है |
- Published On :
26-Jan-2024
(Updated On : 26-Jan-2024 02:23 pm )
ध्वजारोहण और झंडा फहराने में है खास अंतर,मायने भी हैं अलग
देश भर में आज ७५ वां गणतंत्र दिवस मनाया गया . इस राष्ट्रीय पर्व की धूम समूचे भारत में रही| देश भर में जगह जगह देश भक्ति से ओतप्रोत कार्यक्रम हुए . लोगों में भी गणतंत्र दिवस का उत्साह रहा . दरअसल २६ जनवरी १९५० को संविधान लागू हुआ और भारत एक गणतंत्र बना. यही वजह है क़ि हर साल २६ जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाया जाता है.
हर साल गणतंत्र दिवस पर भारत के राष्ट्रपति तिरंगा झंडा फहराते हैं. वहीं १५ अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री ध्वजारोहण करते हैं. आम तौर पर लोग १५ अगस्त और २६ जनवरी के दिन लोग ध्वजारोहण शब्द का उपयोग करते है | आम बातचीत में ध्वजारोहण सहजता से स्वीकार भी कर लिया जाता है मगर झंडा फहराना और ध्वजारोहण करना दोनों में बेसिक अंतर है और ये जानकारी आम लोगों को पता होना भी चाहिए | आज गणतंत्र दिवस पर हम आपको इस जानकारी से अवगत कराते हैं सबसे पहले आप को ये बता दें कि १५ अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोहण किया जाता है और २६ जनवरी को झंडा फहराया जाता है | दरअसल, झंडा फहराने से आशय ये है कि २६ जनवरी को झंडा पोल के ऊपरी सिरे पर बांधा जाता है.जो झंडा फहराता है जैसे मुख्य आयोजन में राष्ट्रपति सिर्फ डोर को खींचते हैं और झंडा खुलकर हवा में लहरा जाता है जिसे ही झंडा फहराना कहा जाता है.
वहीं, स्वतंत्रता दिवस के दौरान तिरंगे झंडे को नीचे से ऊपर की ओर खींचा जाता है, जिसमे झंडा नीचे से ऊपर की ओर जाता है और फिर हवा में लहराता है जो ध्वजारोहण कहलाता है | ये सिर्फ शब्दों का अंतर नहीं है इसके खास मायने भी है
ध्वजारोहण जहाँ एक नए देश के उदय का प्रतीक है वहीं झंडा फहराना ये बताता है कि संविधान के सिद्धांत और नियम के प्रति हमारा देश अपनी प्रतिबद्धता जता रहा है.इसे आजाद भारत के गणतंत्र बनने के तौर पर भी देखा जाता है.
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