इंदौर। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने धार जिले में स्थित भोजशाला का सर्वे पूरा कर अपनी दो हजार पेज की रिपोर्ट मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बैंच को सौंप दी है। अब 22 जुलाई को इस मसले पर सुनवाई होगी। सबसे बड़ा सवाल यह है कि 23 साल पहले लागू की गई व्यवस्था को क्या हाईकोर्ट इस रिपोर्ट के आधार पर बदल देगा? इधर हिंदू पक्ष के वकील की ओर से दावा किया गया कि सर्वे के दौरान कई ऐसे साक्ष्य मिले हैं, जो साबित करता है कि यहां मंदिर था।
धार जिले के इस 11वीं सदी में बने परिसर का विवाद नया नहीं है। हिंदू समुदाय भोजशाला को वाग्देवी (देवी सरस्वती) का मंदिर मानता है। मुस्लिम पक्ष कमाल मौला मस्जिद कहता है। हिंदू फ्रंट ऑफ जस्टिस की याचिका पर हाईकोर्ट ने 11 मार्च को एएसआई को आदेश दिया था कि वह छह हफ्ते में भोजशाला परिसर की साइंटिफिक स्टडी कर अपनी रिपोर्ट सौंपे। हालांकि, रिपोर्ट सौंपने के लिए एएसआई ने और वक्त मांगा। तीन बार समय बढ़ाया गया। चार जुलाई को हाईकोर्ट ने एएसआई को निर्देश दिए थे कि 15 जुलाई तक अपनी पूरी रिपोर्ट सौंप दें।
एएसआई की रिपोर्ट की प्रतियां दोनों ही पक्षों को सौंपी जाएगी। कोर्ट ने दोनों ही पक्षों को सख्त निर्देश दिए हैं कि रिपोर्ट को सार्वजनिक न करें। एएसआई ने कार्बन डेटिंग, जीपीएस सहित अन्य तकनीक इस सर्वे में अपनाई है। भोजशाला के बड़े हिस्से में खुदाई भी की गई है। दावा किया गया है कि खुदाई के दौरान पुरानी मूर्तियों के अवशेष, धार्मिक चिह्न मिले हैं। अफसरों ने सर्वे की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी भी कराई है। सर्वे रिपोर्ट में खुदाई में मिले अवशेषों के फोटो भी प्रस्तुत किए गए।
वर्ष 1902 में भी हुआ था सर्वे
धार भोजशाला का इतिहास वर्षों पुराना है। अंग्रेजों के शासनकाल में एएसआई ने धार भोजशाला का सर्वे किया था। तब की रिपोर्ट में मंदिर के अलावा परिसर के एक हिस्से में मस्जिद का उल्लेख भी किया गया था। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने नए सिरे से स्टडी के निर्देश दिए थे। यह सर्वे रिपोर्ट हाईकोर्ट में चल रही याचिका के लिए काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
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