नई दिल्ली। हाल ही में जेल से रिहा हुए दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने एक विवादित बयान दे दिया है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल का पद लोकतंत्र पर बोझ बन गया है और इसे समाप्त किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह पद समाप्त होने के बाद ही चुनी हुई सरकारें सुचारू रूप से संचालित हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि राज्यपाल का काम सिर्फ गैर-एनडीए सरकारों को गिराना और उनके काम को रोकना है।
एक न्यूज एजेंसी से बात करते हुए उन्होनें कहा कि दिल्ली में उपराज्यपाल और आम आदमी पार्टी के सरकार के बीच टकराव की वजह निर्वाचित सरकार के फैसले लेने के अधिकार को छीनना है। इसे उन्होंने लोकतंत्र की हत्या तक बता दिया। सिसोदिया ने कहा कि उपराज्यपाल और चुनी हुई सरकार के बीच टकराव की वजह से दिल्ली के नौकरशाह परेशान हैं।
सिसोदिया यहीं नहीं रुके। उन्होंने कहा कि चुनी हुई सरकार के अधिकार केंद्र ने छीन लिए। जब लोकतंत्र की हत्या होती है तो सभी हितधारक प्रभावित होते हैं। यहां तक कि सरकार के अधिकारी भी पीड़ित हैं। राज्यपाल का पद खत्म कर दिया जाना चाहिए। सिसोदिया ने कहा कि निर्वाचित सरकार को शपथ दिलाने के लिए राज्यपाल की आवश्यकता क्यों है? ऐसा अन्य संस्थाओं द्वारा भी किया जा सकता है. सरकारें गिराने के अलावा उनका काम क्या है?
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