उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भारत में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए यूएसएआईडी द्वारा दी जा रही 21 मिलियन डॉलर की फंडिंग को लेकर कटौती पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इस पर चिंता जताते हुए कहा कि जो भी लोग भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों पर इस प्रकार का हमला करने की अनुमति दे रहे हैं, उन्हें बेनकाब किया जाना चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने स्पष्ट रूप से कहा कि भारत की संप्रभुता और लोकतंत्र पर इस तरह का बाहरी हस्तक्षेप स्वीकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने इस मुद्दे की जड़ तक पहुंचने के लिए चाणक्य नीति अपनाने की बात कही और कहा कि इसे जड़ से नष्ट किया जाना चाहिए।
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए इसे राष्ट्रधर्म करार दिया और कहा कि ऐसी ताकतों का प्रतिघात करना भारतीय नागरिकों का राष्ट्रीय कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि भारत को शिखर तक ले जाने के लिए हमें उन लोगों की पहचान करनी होगी, जिन्होंने इस तरह के बाहरी हस्तक्षेप को स्वीकार किया और देश के लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर करने की कोशिश की।
पिछले हफ्ते अमेरिकी सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (DOGE) ने भारत में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए आवंटित 21 मिलियन डॉलर की फंडिंग समेत कई कार्यक्रमों को रद्द करने की घोषणा की थी। एलन मस्क के नेतृत्व वाले इस विभाग ने एक आधिकारिक पोस्ट में बताया कि वे करदाताओं के करोड़ों डॉलर खर्च करने वाले ऐसे कई अनावश्यक कार्यक्रमों में कटौती कर रहे हैं।
उपराष्ट्रपति धनखड़ की यह टिप्पणी इस बात का संकेत है कि भारत अपने लोकतांत्रिक मूल्यों और संप्रभुता से कोई समझौता नहीं करेगा। सरकार यह स्पष्ट कर चुकी है कि बाहरी हस्तक्षेप के किसी भी प्रयास को स्वीकार नहीं किया जाएगा और जो भी इसमें शामिल होगा, उसे बेनकाब किया जाएगा।
इस मुद्दे को लेकर आगे क्या राजनीतिक घटनाक्रम सामने आते हैं, यह देखने योग्य होगा, लेकिन इतना स्पष्ट है कि भारत अपने आंतरिक मामलों में बाहरी हस्तक्षेप को सहन करने के मूड में नहीं है।
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