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ट्रंप प्रशासन ने रिश्वत रोधी कानून एफसीपीए पर लगाई रोक, अदाणी समूह को मिली राहत

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम (Foreign Corrupt Practices Act - FCPA) पर रोक लगाने का आदेश जारी किया है।

ट्रंप प्रशासन ने रिश्वत रोधी कानून एफसीपीए पर लगाई रोक, अदाणी समूह को मिली राहत

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम (Foreign Corrupt Practices Act - FCPA) पर रोक लगाने का आदेश जारी किया है। यह कानून अमेरिकी कंपनियों और नागरिकों को विदेशी अधिकारियों को रिश्वत देने से रोकता है, जिससे वे किसी भी देश में व्यापारिक अनुबंधों या सौदों में अनैतिक लाभ न उठा सकें।

एफसीपीए पर रोक क्यों?

राष्ट्रपति ट्रंप ने एफसीपीए को लेकर कहा कि यह कानून कागजों पर तो अच्छा लगता है, लेकिन व्यवहार में बेहद खराब है। इससे अमेरिकी व्यापारियों को बेवजह कानूनी जांच और अभियोग का सामना करना पड़ता है, जिससे अंतरराष्ट्रीय व्यापार में बाधा आती है।

ट्रंप प्रशासन का मानना है कि यह कानून:
अमेरिकी कंपनियों की अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा को कमजोर करता है।
अमेरिकी व्यापारियों के खिलाफ गैर-जरूरी जांच और अभियोग की स्थिति पैदा करता है।
राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक विकास को नुकसान पहुंचाता है।

अदाणी समूह को राहत

एफसीपीए के तहत ही बाइडन प्रशासन ने अदाणी समूह पर 25 करोड़ डॉलर की रिश्वत देने का आरोप लगाया था। बाइडन सरकार के अनुसार, अदाणी समूह के कुछ अधिकारियों ने भारत में सौर ऊर्जा परियोजनाओं के ठेके हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को रिश्वत दी थी। हालांकि, अदाणी समूह ने इन आरोपों को पूरी तरह खारिज कर दिया था।

अब एफसीपीए पर रोक लगने के बाद अदाणी समूह को बड़ी राहत मिली है, जिससे इसके शेयरों में उछाल देखा गया है।

राजनीतिक हलकों में एफसीपीए पर रोक को लेकर विवाद

 अमेरिकी कांग्रेस के छह सांसदों ने भी अटॉर्नी जनरल को पत्र लिखकर एफसीपीए के तहत अदाणी समूह पर की गई कार्रवाई को गलत बताया था।
सांसदों का कहना था कि बाइडन सरकार का फैसला भारत जैसे महत्वपूर्ण साझेदार के साथ अमेरिका के संबंधों को नुकसान पहुंचा सकता था।
ट्रंप प्रशासन ने कहा कि इस कानून को लागू रखना व्यापार में बाधा उत्पन्न करता है और अमेरिका की प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति को कमजोर करता है।

क्या होगा ट्रंप प्रशासन के इस फैसले का असर?

 अमेरिकी कंपनियों के लिए अंतरराष्ट्रीय व्यापार करना आसान हो जाएगा।
विदेशों में व्यापारिक अनुबंध प्राप्त करने में आसानी होगी।
अमेरिकी न्याय विभाग के अभियोजन मामलों की संख्या घटेगी।
भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों को सकारात्मक प्रभाव मिल सकता है।

निष्कर्ष

ट्रंप प्रशासन द्वारा एफसीपीए पर रोक लगाना अंतरराष्ट्रीय व्यापार जगत के लिए एक महत्वपूर्ण फैसला है। भारत समेत कई देशों में व्यापार कर रही अमेरिकी कंपनियों को इससे राहत मिलेगी। खासकर, अदाणी समूह के खिलाफ बाइडन प्रशासन की जांच समाप्त होने की संभावना बढ़ गई है। अब देखना होगा कि ट्रंप प्रशासन इस नीति को आगे कैसे लागू करता है और क्या इसे अमेरिकी कांग्रेस से भी समर्थन मिलता है या नहीं।

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