नई दिल्ली। इसरो ने अंतरिक्ष के इतिहास में अब शतक बना लिया है। इसरो ने बुधवार को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से GSLV-F15 के जरिए अपना 100वां मिशन, NVS-02 नेविगेशन उपग्रह लॉन्च किया। इसकी जानकारी इसरो ने एक्स पर दी है। यह इसरो के अध्यक्ष वी नारायणन के नेतृत्व में पहला मिशन है, जिन्होंने उन्होंने 13 जनवरी को पदभार संभाला था।
इसका उद्देश्य भारतीय उपमहाद्वीप के साथ-साथ भारतीय भूभाग से लगभग 1,500 किलोमीटर आगे के क्षेत्रों में उपयोगकर्ताओं को सटीक स्थिति, गति और समय की जानकारी प्रदान करना है। यह मिशन भारतीय वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत और श्रेष्ठ तकनीकी क्षमता का उदाहरण है। इस लॉन्च के साथ भारत के नेविगेशन सिस्टम को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया गया है। GSLV-F15 भारत के जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV) का 17वां मिशन था और 11वीं बार इसमें स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन का उपयोग किया गया। इस रॉकेट का मुख्य उद्देश्य NVS-02 उपग्रह को भू-समकालिक ट्रांसफर कक्षा में स्थापित करना था। इसरो के अनुसार यह उपग्रह भारत के क्षेत्रीय नेविगेशन उपग्रह प्रणाली (NavIC) का हिस्सा होगा जो देश के लिए अधिक सटीक नेविगेशन सेवाएं प्रदान करेगा। NavIC सिस्टम के तहत कुल 7 उपग्रह अंतरिक्ष में तैनात किए जाने हैं जिनमें से अब 5 सफलतापूर्वक स्थापित हो चुके हैं। यह प्रणाली भारत और इसके 1500 किलोमीटर के दायरे में बेहतर नेविगेशन सेवाएं प्रदान करेगी। NavIC के तहत दो प्रकार की सेवाएं— स्टैंडर्ड पोजिशनिंग सर्विस (SPS) और प्रतिबंधित सेवा (RS) दी जाएंगी। SPS प्रणाली 20 मीटर से कम त्रुटि के साथ पोजिशनिंग डेटा प्रदान करती है जिससे भारत का नेविगेशन सिस्टम और सशक्त होगा।
Leave Comments