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चीन ने बनाई दुनिया की सबसे खतरनाक मशीनगन, 1 मिनट में दागती है 4.5 लाख गोलियां

चीन ने सैन्य ताकत बढ़ाने के लिए एक नई उपलब्धि हासिल की है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन ने "मेटल स्टॉर्म" नामक मशीनगन विकसित की है, जो हर मिनट साढ़े 4 लाख गोलियां दाग सकती है

चीन ने बनाई दुनिया की सबसे खतरनाक मशीनगन, 1 मिनट में दागती है 4.5 लाख गोलियां

चीन ने सैन्य ताकत बढ़ाने के लिए एक नई उपलब्धि हासिल की है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन ने "मेटल स्टॉर्म" नामक मशीनगन विकसित की है, जो हर मिनट साढ़े 4 लाख गोलियां दाग सकती है। यह मशीनगन न केवल अमेरिका की फालानक्स सिस्टम को पीछे छोड़ती है, बल्कि इसे 100 गुना अधिक घातक बनाती है।

 

मेटल स्टॉर्म की क्षमता

  1. फायरिंग स्पीड: यह मशीनगन सामान्य मशीनगनों की तुलना में कहीं अधिक तेज है, जो 9,000 किमी/घंटा की रफ्तार से गोलियां दाग सकती है।
  2. हाइपरसोनिक मिसाइल का विनाश: इसकी तीव्रता इतनी अधिक है कि यह हवा में ही हाइपरसोनिक मिसाइलों को नष्ट कर सकती है।
  3. बैरल सिस्टम: मशीनगन में चार से पांच बैरल लगाए जा सकते हैं, और प्रत्येक बैरल से साढ़े 4 लाख राउंड प्रति मिनट फायर किया जा सकता है।
  4. इलेक्ट्रॉनिक ट्रिगर: इसमें मैकेनिकल ट्रिगर की जगह कॉन्टेक्टलैस इलेक्ट्रॉनिक ट्रिगर का उपयोग किया गया है, जो गोलियों के मिश्र धातु के तार को पिघलाकर उच्च-ऊर्जा जेट बनाता है।

इतिहास और तकनीकी विकास

  • इस तकनीक की नींव 1990 के दशक में ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्ता माइक ओ’डायर ने रखी थी।
  • तकनीक का उपयोग करते हुए, मशीनगन में 36 बैरल सिस्टम लगाया जा सकता है, जिससे हर बैरल 10 लाख गोलियां दागने में सक्षम होता है।
  • चीन ने इस तकनीक को और विकसित करने के लिए 2006 में 10 करोड़ डॉलर की पेशकश की थी, लेकिन अमेरिका ने पहले ही यह तकनीक खरीद ली थी।
  • हालांकि, अमेरिका ने तकनीकी बाधाओं के कारण इस प्रोजेक्ट को रोक दिया, जबकि चीन ने काम जारी रखा और सफलता हासिल की।

भविष्य की योजनाएं

चीन अब इस तकनीक को और अधिक उन्नत करने की दिशा में काम कर रहा है। उनका फोकस चिप और सेंसर से लैस गोलियों की टेस्टिंग और कम लागत वाले बैरल विकसित करने पर है। इसके साथ ही, इस मशीनगन की फायरिंग क्षमता को हर मिनट 22 लाख राउंड तक बढ़ाने का लक्ष्य है।

सैन्य संतुलन पर प्रभाव

चीन की यह उपलब्धि न केवल उसकी सैन्य ताकत को बढ़ावा देगी, बल्कि वैश्विक सैन्य संतुलन पर भी बड़ा प्रभाव डालेगी। अमेरिका और अन्य देशों के लिए यह एक गंभीर चुनौती बन सकती है।

 

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