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महापौर ने टैक्स मांग कर क्या गलत कर दिया…आखिर ‘मनी’ के लिए ही तो हो रहा ‘हनी’ का शो

HBTV NEWS के न्यूज हेड हरीश फतेहचंदानी का कॉलम-सच कहता हूं

शहर में जब भी कोई क्रिकेट मैच या बड़ा कमर्शियल आयोजन होता है, तो नगर निगम के टैक्स को लेकर जरूर बवाल मचता है। महंगे दर पर टिकट बेचने वाले आयोजकों को नगर निगम के टैक्स देने में पता नहीं क्या परेशानी होती है। इस बार भी हनी सिंह के शो को लेकर हंगामा मचा हुआ है। नगर निगम ने आयोजकों से टैक्स देने को कहा, लेकिन उन्होंने नहीं दिया, फिर महापौर ने शहर हित में जरा सी सख्ती दिखा दी। इसके बाद हंगामा शुरू हो गया।

सबसे बड़ी बात यह है कि ऐसा विवाद दूसरे शहरों में नहीं होता, क्योंकि वहां बिना टैक्स चुकाए आयोजन की अनुमति ही नहीं मिलती। इंदौर में ऐसा इसलिए होता है कि स्थानीय बिचौलिए यह मान कर चलते हैं कि यहां कोई टैक्स देने की जरूरत नहीं है। जरा याद कीजिए, जब भी कोई क्रिकेट का मैच इंदौर में होता है तो नगर निगम को टैक्स के लिए किस कदर भटकना पड़ता है। जब निगम दबाव बनाता है तो एमपीसीए के कर्ताधर्ता कहने लगते हैं कि यह सब पास के लिए हो रहा है। इससे पहले दिलजीत दोसांझ के शो में भी ऐसा ही हुआ।

क्या कोई बता सकता है कि हनी सिंह यहां किस तरह की चैरिटी शो करने आया है? बुक माय शो तथा अन्य माध्यमों से महंगे दर पर बिक रहे टिकटों में तो कोई रियायत नहीं है, फिर नगर निगम क्यों शहर हित के पैसे छोड़े। अगर वह जनता पर टैक्स बढ़ा दे तो भी आलोचना होगी और अगर शहर हित का पैसा वसूलने की कोशिश करे तो भी आलोचना हो रही है।

महापौर के इस कदम की आलोचना करने वाले क्या यह बता सकते हैं कि शहर के विकास के लिए व्यावसायिक आयोजनों से टैक्स क्यों नहीं लिया जाए? यह राशि तो महापौर या निगम कमिश्नर की जेब में तो जाने से रही। बात सिर्फ नगर निगम की ही नहीं है, पुलिस व्यवस्था के इंतजाम के एवज में भी राशि देने में आयोजकों का यही रवैया है।

ऐसे में नगर निगम और जिला प्रशासन को आयोजकों पर और सख्ती दिखानी चाहिए। कोई भी आयोजन की एनओसी देने से पहले नगर निगम तथा अन्य तरह के टैक्स की रसीद अनिवार्य की जानी चाहिए। इतना ही नहीं जो लोग ऐसे आयोजनों के लिए स्थान दे रहे हैं, उन पर भी कार्रवाई होनी चाहिए। अगर आयोजक नगर निगम का टैक्स नहीं भरते, तो उसकी वसूली क्यों न स्थान देने वालों से की जाए। आखिर वे भी तो स्थान देने के एवज में मोटी रकम वसूल रहे हैं।

महापौर जी, शहर हित में आपका फैसला अच्छा है। यही रवैया बनाए रखिए। जनता आपके साथ है।

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