नो व्हाट्सप्प नो ई मेल ;सुप्रीम कोर्ट का पुलिस नोटिस पर महत्वपूर्ण आदेश
व्हाट्सएप और इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से नोटिस भेजने पर रोक
- Published On :
31-Jan-2025
(Updated On : 31-Jan-2025 10:05 am )
नो व्हाट्सप्प नो ई मेल ;सुप्रीम कोर्ट का पुलिस नोटिस पर महत्वपूर्ण आदेश
व्हाट्सएप और इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से नोटिस भेजने पर रोक
सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया कि वे पुलिस को दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी), 1973 की धारा 41ए और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस), 2023 की धारा 35 के तहत नोटिस भेजने के लिए केवल वही तरीके अपनाने का निर्देश दें, जिनकी कानून के तहत अनुमति हो।सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि व्हाट्सएप या अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के माध्यम से नोटिस भेजना कानूनी प्रक्रिया का विकल्प नहीं हो सकता। जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और जस्टिस राजेश बिंदल की बेंच ने कहा कि नोटिस भेजने के लिए वैधानिक प्रक्रियाओं का पालन करना अनिवार्य है।
वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा का सुझाव स्वीकार
यह आदेश वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा के सुझाव के आधार पर दिया गया, जिन्हें इस मामले में एमिकस क्यूरी के रूप में नियुक्त किया गया था। लूथरा ने कोर्ट को बताया कि पुलिस ने कई मामलों में व्हाट्सएप के माध्यम से नोटिस भेजे, लेकिन आरोपी जांच अधिकारी के समक्ष उपस्थित नहीं हुए। उन्होंने सुझाव दिया कि पुलिस को निर्धारित वैधानिक प्रक्रिया का पालन करना चाहिए और व्हाट्सएप या अन्य डिजिटल माध्यमों से नोटिस भेजने से बचना चाहिए।
उच्च न्यायालयों और अधिकारियों को निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने सभी उच्च न्यायालयों को अपनी-अपनी समितियों की बैठकें आयोजित करने का निर्देश दिया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान और पूर्व आदेशों का पालन सभी स्तरों पर हो।
इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने सभी उच्च न्यायालयों के रजिस्ट्रार जनरल और राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को निर्देश दिया कि वे तीन हफ्ते के भीतर अनुपालन सुनिश्चित करें और हर महीने अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करें।
पृष्ठभूमि और मामले का महत्व
यह आदेश सतेंद्र कुमार अंतिल के मामले में आया, जिसमें पुलिस द्वारा सीआरपीसी की धारा 41ए के तहत नोटिस व्हाट्सएप के जरिए भेजे गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए स्पष्ट किया कि पुलिस को केवल कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करना चाहिए और डिजिटल माध्यमों से नोटिस भेजने से बचना चाहिए।
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