नारी अदालत' योजना का विस्तार: केंद्र सरकार ने राज्यों से मांगे प्रस्ताव
केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से 'नारी अदालत' कार्यक्रम को विस्तारित करने के लिए प्रस्ताव मांगे हैं।
- Published On :
13-Feb-2025
(Updated On : 13-Feb-2025 09:18 am )
नारी अदालत' योजना का विस्तार: केंद्र सरकार ने राज्यों से मांगे प्रस्ताव
केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से 'नारी अदालत' कार्यक्रम को विस्तारित करने के लिए प्रस्ताव मांगे हैं। यह योजना वर्तमान में असम और जम्मू-कश्मीर में पायलट परियोजना के रूप में लागू की जा रही है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने इस पहल की घोषणा की।
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क्या है 'नारी अदालत' योजना?
'नारी अदालत' मिशन शक्ति के तहत 'संबल' उप-योजना का हिस्सा है। इसका उद्देश्य महिलाओं को घरेलू हिंसा, दहेज विवाद, बाल हिरासत जैसे छोटे विवादों को ग्राम पंचायत स्तर पर सुलझाने का वैकल्पिक मंच प्रदान करना है। इसमें मध्यस्थता, बातचीत और सुलह के जरिए समाधान निकाला जाता है, जिससे लंबी कानूनी प्रक्रियाओं से बचा जा सके।
देशभर में होगा विस्तार
मंत्री अन्नपूर्णा देवी के अनुसार, यह योजना वित्त वर्ष 2025-26 में अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू की जाएगी। फिलहाल, बिहार और कर्नाटक में इसे 2024-25 में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया गया है।
राज्यों से प्रस्ताव भेजने की अपील
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने सभी राज्यों को कम से कम दस ग्राम पंचायतों में इस योजना को पायलट आधार पर लागू करने के लिए प्रस्ताव भेजने का आग्रह किया है। मंत्री ने कहा, "नारी अदालत महिलाओं की शक्ति का उपयोग कर छोटे विवादों को हल करने के लिए एक वैकल्पिक मंच प्रदान करती है। यह समाज पर सकारात्मक प्रभाव डालेगी और अनावश्यक कानूनी लड़ाइयों से बचने में मदद करेगी।"
महिलाओं के लिए बढ़ा बजट आवंटन
महिला सशक्तिकरण को ध्यान में रखते हुए 2025-26 के केंद्रीय बजट में महिलाओं के कल्याण पर विशेष जोर दिया गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए इस बजट में महिलाओं के लिए 8.86% आवंटन किया गया है, जो पिछले साल के 6.8% की तुलना में अधिक है।
यह योजना न केवल महिलाओं को न्याय दिलाने में मदद करेगी बल्कि उन्हें सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी साबित होगी।
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