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वक्फ विधेयक पर विवाद: जेपीसी की प्रक्रिया पर विपक्ष का हंगामा, अध्यक्ष ने खारिज किए आरोप

वक्फ विधेयक को लेकर बनी संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की अंतिम बैठक में कई संशोधनों को बहुमत से स्वीकार किया गया।

वक्फ विधेयक पर विवाद: जेपीसी की प्रक्रिया पर विपक्ष का हंगामा, अध्यक्ष ने खारिज किए आरोप

वक्फ विधेयक को लेकर बनी संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की अंतिम बैठक में कई संशोधनों को बहुमत से स्वीकार किया गया। हालांकि, इस प्रक्रिया को लेकर विपक्षी सांसदों ने कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने आरोप लगाया कि बैठक में उनकी बातों को सुना नहीं गया और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को नष्ट किया जा रहा है।

विपक्ष का आरोप

तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद और जेपीसी सदस्य कल्याण बनर्जी ने समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल पर तानाशाही रवैया अपनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, "जो पहले से तय था, वही किया गया। यह लोकतंत्र के इतिहास में काला दिन है।"

कांग्रेस सांसद नासिर हुसैन ने दावा किया कि विधेयक के खंडों पर सही तरीके से चर्चा नहीं हुई। उन्होंने कहा, "95-98% हितधारकों ने विधेयक का विरोध किया था, लेकिन उनकी बातों को नजरअंदाज कर दिया गया। केवल संशोधनों पर मतदान कराया गया।"

शिवसेना (यूबीटी) सांसद अरविंद सावंत ने कहा कि, "विधेयक के हर खंड पर चर्चा होनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। संशोधन पर सीधे मतदान कराया गया, जो लोकतंत्र के खिलाफ है।"

जेपीसी अध्यक्ष का पक्ष

जेपीसी अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि पूरी प्रक्रिया लोकतांत्रिक तरीके से की गई। उन्होंने बताया कि समिति ने 44 संशोधनों पर चर्चा की, जिसमें से 14 संशोधनों को बहुमत के आधार पर स्वीकार किया गया।

उन्होंने कहा, "हमने सभी सदस्यों से संशोधन के प्रस्ताव मांगे थे। विपक्ष के सुझावों पर भी मतदान कराया गया, लेकिन उन्हें बहुमत नहीं मिला।"

जेपीसी की सदस्य और भाजपा सांसद अपराजिता सारंगी ने कहा कि, "बैठक में 108 घंटे तक विधेयक पर चर्चा हुई। 284 हितधारकों से बात की गई और जिन लोगों का दिल्ली आना संभव नहीं था, उनसे उनके राज्यों में जाकर चर्चा की गई।"

विधेयक का अंतिम ड्राफ्ट

जेपीसी की बैठक समाप्त हो चुकी है और अब विधेयक का अंतिम ड्राफ्ट 29 जनवरी को पेश किया जाएगा। विपक्ष ने कहा है कि वे इस ड्राफ्ट का अध्ययन करेंगे और आगे की रणनीति तय करेंगे।

लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर सवाल

विपक्ष ने इस प्रक्रिया को "लोकतंत्र की हत्या" करार दिया है, जबकि सत्तारूढ़ एनडीए सांसदों ने इसे पूरी तरह लोकतांत्रिक बताया। यह विधेयक अब संसद में चर्चा और मतदान के लिए पेश किया जाएगा, जहां इसे लेकर एक बार फिर तीखी बहस होने की संभावना है।

 

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