वॉशिंगटन। अमेरिका में भारतीय मूल के एक और व्यक्ति का दबदबा बढ़ा है। नवर्निवाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने काश पटेल को फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (एफबीआई) का नया निदेशक नियुक्त कर दिया है। न्यूयॉर्क में जन्मे पटेल का नाता गुजरात से है।
उल्लेखनीय है कि काश पटेल की मां पूर्वी अफ्रीका के देश तंजानिया से हैं और पिता युगांडा से कनाडा और फिर अमेरिका पहुचे थे। वे 1970 में कनाडा से अमेरिका आए थे। कानून की पढ़ाई करने वाले पटेल ने एक इंटरव्यू में खुद अपनी गुजराती पहचान पर गर्व के साथ बात की थी। उन्होंने कहा था कि वह गुजरात मूल से आते हैं। काश पटेल ने इससे पहले ट्रंप प्रशासन में रक्षा विभाग के चीफ ऑफ स्टाफ, राष्ट्रीय खुफिया के उप निदेशक और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में आतंकवाद विरोधी के वरिष्ठ निदेशक के रूप में काम किया है। भारत में राम मंदिर बनने पर पर एक बयान को लेकर भी वे चर्चा में आए थे।
ट्रंप ने शनिवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ पर लिखा था कि मुझे यह घोषणा करते हुए गर्व हो रहा है कि कश्यप 'काश' पटेल फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (एफबीआई) के अगले निदेशक के रूप में काम करेंगे। काश एक शानदार वकील, इन्वेस्टिगेटर और 'अमेरिका फर्स्ट' योद्धा हैं जिन्होंने अपना करियर भ्रष्टाचार को उजागर करने, न्याय की रक्षा करने और अमेरिकी लोगों की रक्षा करने में बिताया है। ट्रंप ने पटेल को बढ़ते अपराध, आपराधिक गिरोहों और सीमा पार से नशीली दवाओं की तस्करी जैसे मुद्दों का काम सौंपा है। वे अटॉर्नी जनरल पाम बोंडी के अधीन काम करेंगे।
राम मंदिर पर बयान से मिली थी चर्चा
काश पटेल की नियुक्ति ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के लिए उनकी योजनाओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। वे अमेरिका में कानून व्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। पटेल की नियुक्ति इस दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। 44 साल के पटेल ने 2017 में तत्कालीन ट्रंप प्रशासन के अंतिम कुछ हफ्तों में अमेरिका के कार्यवाहक रक्षा मंत्री के चीफ ऑफ स्टाफ के रूप में भी काम किया था। काश पटेल ने अयोध्या में राम मंदिर बनने पर एक टिप्पणी करने के बाद चर्चा में आए थे। पटेल ने कहा था कि विदेशी मीडिया अयोध्या के 50 सालों की बात कर रही है, लेकिन राम मंदिर के 500 साल से भी पुराने इतिहास को भुला दे रही है। काश ने मंदिर बनाए जाने का समर्थन किया था।
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