ढाका। बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार पुरानी हर पहचान मिटाने की कोशिश में लगी है। इसी के तहत 15 अगस्त को देश के संस्थापक और शेख हसीना के पिता शेख मुजीबुर्रहमान की पुण्यतिथि पर दिया जाने वाला राष्ट्रीय अवकाश रद्द कर दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि शेख हसीना के इस्तीफे के बाद शेख मुजीब की पहचान पर लगातार हमले हुए हैं। भीड़ ने बंगबंधु को समर्पित एक संग्रहालय को आग लगाकर उनसे जुड़ी चीजों को नष्ट कर दिया था। ये संग्रहालय बंगबंधु का निजी आवास था, जहां उनकी हत्या की गई थी। ढाका में शेक मुजीब की मूर्ति को हथौड़े से तोड़ा गया और एक्सप्रेसवे से उनकी नेमप्लेट भी हटाई गई हैं। इस सबके बीच शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद जॉय ने अपने नाना की पुण्यतिथि 15 अगस्त को 'राष्ट्रीय शोक दिवस' के रूप में मनाने का आग्रह किया है।
बांग्लादेश की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका
उल्लेखनीय है कि बांग्लादेश की आजादी में शेख मुजीबुर्रहमान की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका थी। लंबे समय पाकिस्तान की जेल में रहने वाले शेख मुजीब को बांग्लादेश का राष्ट्रपिता कहा जाता है। बांग्लादेश बनने के चार साल बाद ही 15 अगस्त 1975 को उनकी और उनके परिवार के 16 सदस्यों की निर्मम हत्या कर दी गई थी। उनकी दो बेटियां शेख हसीना और रिहाना ही इस हमले में बची थीं क्योंकि वो ढाका में नहीं थीं।
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