रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन
सेंट पीटर्सबर्ग। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने रविवार को अमेरिका को परमाणु हमले की ताजा धमकी दी है। पुतिन ने कहा कि अगर वाशिंगटन जर्मनी में लंबी दूरी की मिसाइलें तैनात करता है तो वह अमेरिका तक मार करने वाली मध्यम दूरी के परमाणु हथियारों का उत्पादन फिर से शुरू कर देगा। पुतिन ने अपनी पहले की धमकी को दोहराते हुए कहा कि रूस मध्यम और कम दूरी की परमाणु-सक्षम मिसाइलों का उत्पादन फिर से शुरू कर सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि यूरोप और एशिया में इसी तरह की अमेरिकी मिसाइलें लाने के बाद रूस भी इस बात पर विचार कर सकता है कि उसे अपनी मिसाइलों को कहां तैयार किया जाना चाहिए। पुतिन ने रूसी नौसेना दिवस के मौके पर यह बात कही।
अमेरिका ने की है जर्मनी में तैनाती की घोषणा
अमेरिका ने हाल ही में नाटो और यूरोपीय रक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाने के लिए जर्मनी में लंबी दूरी तक मार करने की क्षमता वाली मिसाइलों की तैनाती की घोषणा की है। इन मिसाइलों को 2026 में तैनात किया जाना है। सेंट पीटर्सबर्ग में रूसी नौसेना दिवस के अवसर पर दिए गए भाषण में पुतिन ने अमेरिका को चेतावनी दी कि इस कदम से शीत युद्ध शैली का मिसाइल संकट शुरू होने का जोखिम है। शीत युद्ध के दौरान 1962 में क्यूबा में मिसाइल संकट ने एक बड़ी जंग का खतरा पैदा कर दिया था।
पुतिन ने दिलाई शीत युद्ध की याद
पुतिन ने कहा, 'अगर अमेरिका ऐसी योजनाओं को अंजाम देता है, तो हम मध्यम और कम दूरी की मारक क्षमताओं की तैनाती पर पहले अपनाए गए एकतरफा प्रतिबंध से खुद को मुक्त मानेंगे।' उन्होंने कहा, 'यह स्थिति यूरोप में अमेरिकी मध्यम दूरी की पर्शिंग मिसाइलों की तैनाती से संबंधित शीत युद्ध की घटनाओं की याद दिलाती है।' रूसी राष्ट्रपति ने आगे दावा किया कि वाशिंगटन डेनमार्क और फिलीपींस को टाइफॉन मिसाइल सिस्टम हस्तांतरित करके तनाव बढ़ा रहा है। पुतिन ने कहा, 'ऐसी मिसाइलों के हमारे क्षेत्र में लक्ष्यों तक उड़ान का समय लगभग 10 मिनट होगा, जो भविष्य में परमाणु वारहेड से लैस हो सकती हैं।'
पुतिन की जवाबी उपाय की धमकी
उन्होंने कहा, 'हम संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप और दुनिया के अन्य क्षेत्रों में उसके समर्थकों की कार्रवाइयों को ध्यान में रखते हुए तैनाती के लिए समान उपाय करेंगे।' साल 2019 में वाशिंगटन और मॉस्को एक दूसरे पर उल्लंघन का आरोप लगाते हुए इंटरमीडिएट-रेंज न्यूक्लियर फोर्सेस संधि से खुद को अलग कर लिया था। रूस ने बाद में कहा कि जब तक संयुक्त राज्य अमेरिका विदेश में मिसाइलों की तैनाती नहीं करता, तब तक वह ऐसी मिसाइलों का उत्पादन फिर से शुरू नहीं करेगा।
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