दक्षिण कोरिया के आपत्ति वापस लेने के बाद जापान की एक खदान को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल कर लिया गया है.यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल की जाने वाली साडो खदान को लेकर दक्षिण कोरिया को आपत्ती थी. उसका कहना था कि द्वितीय विश्व युद्ध के समय कोरिया के 2000 लोगों को इस खदान में जबरन मज़दूरी के लिए रखा गया था.जापान के इस बात पर सहमत होने पर कि वह खदान के संचालन के पूरे इतिहास को पारदर्शिता से बताएगा, दक्षिण कोरिया ने अपनी आपत्ति वापस ले ली.
साडो सोने की खदान इसी नाम से जाने जानेवाले एक छोटे से द्वीप पर है. सोलहवीं सदी की शुरुआत में इस खदान में खनन का काम किया जाता था.ये द्वीप ज्वालामुखी के लावा से बनी दो पहाड़ियों की रेंज से बना है, जिसके बीच कुनिनाका नाम की समतल भूमि है. यहां सोने और चांदी के बड़े भंडार पाए गए थे.उस वक्त यह खदान दुनिया में सोने के सबसे बड़े स्रोतों में से एक थी. लेकिन मौजूदा वक्त में यह खदान आर्कषण का केंद्र बनी हुई है.
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