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पनामा नहर पर बढ़ता तनाव: अमेरिका और चीन के बीच भू-राजनीतिक संघर्ष

अमेरिका और चीन के बीच पनामा नहर को लेकर तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है

पनामा नहर पर बढ़ता तनाव: अमेरिका और चीन के बीच भू-राजनीतिक संघर्ष

अमेरिका और चीन के बीच पनामा नहर को लेकर तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने हाल ही में पनामा के राष्ट्रपति जोस राउल मुलिनो से मुलाकात कर पनामा नहर पर चीन के बढ़ते प्रभाव को कम करने की मांग की। रुबियो ने पनामा को चेतावनी दी कि यदि ऐसा नहीं हुआ तो ट्रंप प्रशासन आवश्यक कदम उठाने को तैयार है।

अमेरिका की चिंता और ट्रंप प्रशासन की नीति

 1999 की संधि का उल्लंघन: अमेरिका का मानना है कि नहर में चीन की मौजूदगी पनामा को 1999 में सौंपे गए समझौते का उल्लंघन कर सकती है।
ट्रंप का रुख: राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पहले से ही पनामा नहर को अमेरिका के नियंत्रण में लाने की बात कर रहे हैं।
अमेरिका की रणनीति: यदि चीन का प्रभाव कम नहीं हुआ तो अमेरिका इस समझौते में अपने अधिकारों की रक्षा के लिए हस्तक्षेप कर सकता है।

चीन का बढ़ता प्रभाव और बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव

 चीन बुनियादी ढांचे और विकास परियोजनाओं के लिए पनामा में बड़े पैमाने पर निवेश कर रहा है।
हांगकांग स्थित हचिसन कंपनी पनामा नहर के आसपास के प्रमुख पांच बंदरगाहों का संचालन कर रही है।
2016 में चीन ने अटलांटिक महासागर की ओर सबसे बड़ा बंदरगाह खरीदा था।
चीन की कंपनियां पनामा नहर पर एक नया पुल और एमाडोर पैसिफिक कोस्ट क्रूज टर्मिनल भी बना रही हैं।

पनामा नहर का वैश्विक महत्व

82 किलोमीटर लंबी यह नहर अटलांटिक और प्रशांत महासागर को जोड़ती है।
दुनिया का 6% समुद्री व्यापार पनामा नहर से गुजरता है।
अमेरिका का 14% व्यापार इसी नहर के जरिए होता है, जिससे यह अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए अहम है।
यदि अमेरिका को पनामा नहर के बजाय दक्षिण अमेरिका का पूरा चक्कर लगाना पड़े तो सफर की दूरी 8370 किमी से बढ़कर 22,000 किमी से अधिक हो जाएगी।

भविष्य की संभावनाएँ

पनामा का रुख: राष्ट्रपति मुलिनो ने चीन के साथ बेल्ट एंड रोड समझौते को नवीनीकृत न करने की बात कही है।
अमेरिका की रणनीति: ट्रंप प्रशासन चीन के प्रभाव को रोकने के लिए पनामा पर दबाव बनाए रखेगा।

 वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर प्रभाव: यदि पनामा नहर पर संघर्ष बढ़ता है, तो विश्व व्यापार पर गंभीर असर पड़ सकता है।

निष्कर्ष

पनामा नहर अमेरिका और चीन के बीच एक प्रमुख रणनीतिक क्षेत्र बन गया है। अमेरिका इसे चीन के नियंत्रण से बाहर रखना चाहता है, जबकि चीन अपनी आर्थिक और राजनीतिक शक्ति का विस्तार कर रहा है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा वैश्विक भू-राजनीति में और अधिक तनाव पैदा कर सकता है।

 

 

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