नई दिल्ली। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना अभी भारत में हैं। उनके यहां से जाने को लेकर कई तरह की अटकलें चल रही हैं। इस बारे में भारतीय विदेश मंत्रालय ने अपडेट दिया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना की आगे की योजना क्या है, उसके बारे में फिलहाल को कोई अपडेट नहीं दे सकते, क्योंकि यह उनका काम है। उन्हें तय करना है कि कहां जाना है या नहीं जाना है। भारत सरकार उसके बाद कोई फैसला लेगी।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पहले ही संसद को बताया कि एक शॉर्ट नोटिस पर शेख हसीना को भारत आने की अनुमति दी गई है। अभी मेरे पास उनके प्लान के बारे में बताने के लिए कुछ भी नहीं है, क्योंकि पलपल स्थितियां बदल रही हैं। जैसे ही कुछ स्पष्ट होगा हम पूरी जानकारी देंगे। प्रवक्ता ने बताया कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बांग्लादेश के हालिया घटनाक्रम से उपजे तनाव और पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की भारत में आमद के बाद ब्रिटेन के विदेश मंत्री डेविड लैमी से बात की है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि विदेश मंत्री ने कुछ घंटे पहले ही विदेश सचिव डेविड लैमी के साथ बातचीत की थी। दोनों नेताओं ने बांग्लादेश और पश्चिम एशिया के घटनाक्रम के बारे में बात की।
बेटे ने किया फिर से बांग्लादेश जाने का दावा
शेख हसीना के बांग्लादेश छोड़ने के बाद कयास लगाए जा रहे थे कि वह लंदन (ब्रिटेन) में राजनीतिक शरण ले सकती है, लेकिन फिलहाल वह भारत में ही हैं। शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद जॉय ने अपनी मां के स्वदेश वापसी का ऐलान करके सबको चौंका दिया है। पूर्व पीएम के बेटे ने दावा किया कि बांग्लादेश में लोकतंत्र बहाल होते ही उनकी मां अपने देश लौटेंगी। उन्होंने कहा कि उनके देश में अशांति फैलाने में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ है। एक एजेंसी को दिए विशेष साक्षात्कार में जॉय ने कहा कि हालांकि 76 वर्षीय हसीना निश्चित रूप से बांग्लादेश लौटेंगी, लेकिन अभी यह तय नहीं है कि वह सेवानिवृत्त नेता के रूप में लौटेंगी या सक्रिय नेता के रूप में। उन्होंने यह भी कहा कि शेख मुजीब (शेख मुजीबुर रहमान) परिवार के सदस्य न तो अपने लोगों को छोड़ेंगे और न ही संकटग्रस्त अवामी लीग को बेसहारा छोड़ेंगे। जॉय ने अपनी मां की सुरक्षा के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया तथा भारत से अंतरराष्ट्रीय राय बनाने में मदद करने और बांग्लादेश में लोकतंत्र की बहाली के लिए दबाव बनाने की अपील की।
मुस्लिम देशों में क्यों नहीं गईं शेख हसीना?
पहले खालिदा जिया और फिर शेख हसीना ने बांग्लादेश की सत्ता संभाली लेकिन वो कभी देश के धर्म के स्वरूप को नहीं बदल सकीं। ऐसे में कट्टर इस्लामिक देश की प्रधानमंत्री शेख हसीना का जब तख्तापलट हुआ तो उन्होंने दुनिया के और 200 देशों को नहीं देखा। न तो दूसरे 56 इस्लामिक मुल्कों की ओर देखा। जान बचाकर भागीं तो भारत में आ गईं। इसकी दो सबसे बड़ी वजहें हैं। पहली वजह तो भारत का सेक्युलर ताना-बाना है, जिसकी हिमायती शेख हसीना भी रही हैं और उनके तख्तापलट की सबसे बड़ी वजहों में से एक वजह ये भी है। क्योंकि शेख हसीना के इसी सेक्युलरिज्म के खिलाफ जमात-ए-इस्लामी ने माहौल बनाया और फिर बांग्लादेश की सेना ने उसे अच्छे से भुनाया।
1975 में 6 साल भारत रही थीं हसीना
इससे पहले 25 अगस्त, 1975 को शेख हसीना दिल्ली के एक सेफ हाउस में पहुंचीं। बांग्लादेश में किसी को पता न चले, इसके लिए उनका नाम बदला गया। शेख हसीना मिस मजमूदार बन गईं और पंडारा पार्क के सी ब्लॉक स्थित तीन कमरों के एक मकान में रहने लगीं, जिसकी सुरक्षा भारत की एजेंसियां कर रहीं थीं। तब शेख हसीना करीब 6 साल तक भारत में रहीं थीं।
शेख हसीना के राजनीतिक शरण पर ब्रिटेन चुप
अब शेख हसीना भारत में हैं. न कपड़े लेकर आई हैं और न जरूरत का सामान. तो ये सब खरीदारी भी वो भारत में ही कर रही हैं. लेकिन सवाल है कि कब तक? क्या शेख हसीना स्थाई तौर पर भारत में ही रह जाएंगी या फिर जब तक बांग्लादेश में शेख हसीना के मनमाफिक परिस्थितियां नहीं बनती हैं, तब तक उन्हें भारत में ही रहना होगा। इसका सही-सही कोई जवाब अब तक नहीं मिल पाया है, क्योंकि दुनिया का कोई भी देश फिलहाल शेख हसीना को शरण देने को राजी नहीं है। ब्रिटेन ने चुप्पी साध रखी है, अमेरिका ने अपना दरवाजा ही बंद कर दिया है, फिनलैंड कह रहा है कि उसे कोई जानकारी ही नहीं है। रही बात रूस की, तो अभी रूस खुद ही कई मोर्चों पर घिरा हुआ है। ऐसे में वो शेख हसीना को शरण देने पर क्या रुख अपनाता है, ये साफ नहीं है। बाकी यूएई और सऊदी अरब जाने पर भी शेख हसीना विचार कर सकती हैं, लेकिन अभी उन दोनों देशों की तरफ से कोई पहल हुई नहीं है।
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