भारत और बांग्लादेश के बीच बढ़ती कड़वाहट के बीच, चीन ने बांग्लादेश के साथ अपने संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने शुक्रवार को कहा कि चीन बांग्लादेश के साथ "राजनीतिक आपसी विश्वास, बेल्ट एंड रोड पहल (बीआरआई) और लोगों के बीच सहयोग को गहरा करने" के लिए तैयार है।
गुओ जियाकुन ने यह भी घोषणा की कि साल 2025 में चीन और बांग्लादेश अपने राजनयिक संबंधों की 50वीं वर्षगांठ मनाएंगे। उन्होंने कहा, "चीन और बांग्लादेश ने लंबे समय से सम्मान और समानता के आधार पर एक-दूसरे का समर्थन किया है और मित्रता तथा परस्पर लाभकारी सहयोग का एक बेहतरीन उदाहरण पेश किया है।"
इस बीच, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन 20 से 24 जनवरी तक चीन के दौरे पर रहेंगे। यह यात्रा चीन-बांग्लादेश सहयोग को नई ऊंचाई तक ले जाने के इरादे से हो रही है।
चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड पहल भारत के लिए चिंता का विषय बनी हुई है। भारत ने इस योजना का विरोध किया है, खासकर चीन द्वारा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में सड़क निर्माण के कारण, जिसे भारत अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन मानता है।
हाल ही में श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके ने चीन की तीन दिवसीय यात्रा पूरी की। राष्ट्रपति शी जिनपिंग और दिसानायके के बीच हुई वार्ता में कई सहयोग समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए, जिनमें बेल्ट एंड रोड पहल, कृषि निर्यात और लोगों के कल्याण से संबंधित समझौते शामिल हैं।
भारत के पड़ोसी देशों पर चीन का बढ़ता प्रभाव नई दिल्ली के लिए रणनीतिक चुनौती पैदा कर सकता है। चीन की यह कूटनीतिक रणनीति न केवल बांग्लादेश बल्कि श्रीलंका और अन्य पड़ोसी देशों के साथ अपने संबंध मजबूत करने पर केंद्रित है, जिससे क्षेत्र में शक्ति संतुलन बदल सकता है।
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