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ट्रंप के गाजा नियंत्रण प्रस्ताव पर अरब देशों की तीखी प्रतिक्रिया, सऊदी अरब और हमास ने किया खारिज!

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा गाजा को अमेरिका के नियंत्रण में लेने और वहां पुनर्निर्माण कराने के प्रस्ताव पर अरब देशों की तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है।

ट्रंप के गाजा नियंत्रण प्रस्ताव पर अरब देशों की तीखी प्रतिक्रिया, सऊदी अरब और हमास ने किया खारिज!

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा गाजा को अमेरिका के नियंत्रण में लेने और वहां पुनर्निर्माण कराने के प्रस्ताव पर अरब देशों की तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है। सऊदी अरब और हमास ने इस विचार को पूरी तरह से खारिज कर दिया है, जबकि अन्य अरब देश भी इसे लेकर अपनी असहमति जता सकते हैं।

सऊदी अरब: स्वतंत्र फलस्तीनी राज्य पर अटल रुख

सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि वह स्वतंत्र फलस्तीनी राज्य के अपने रुख से पीछे नहीं हटेगा। मंत्रालय ने कहा,
"हम अपने फैसले पर दृढ़ और अटल रहेंगे। पूर्वी यरूशलम को राजधानी बनाकर स्वतंत्र फलस्तीनी राज्य की स्थापना ही हमारा लक्ष्य है और हम इसे पूरा किए बिना इस्राइल से राजनयिक संबंध स्थापित नहीं करेंगे।"

क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने दोहराया कि उनका देश फलस्तीनियों के अधिकारों की रक्षा करता रहेगा और किसी भी प्रस्ताव के जरिए उन्हें उनकी जमीन से बेदखल नहीं किया जा सकता। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि फलस्तीनियों की गंभीर मानवीय पीड़ा को कम करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।

हमास ने ट्रंप के प्रस्ताव को बताया अन्यायपूर्ण

गाजा में सक्रिय इस्लामी संगठन हमास ने भी ट्रंप के प्रस्ताव को सख्ती से खारिज कर दिया। हमास के प्रवक्ता ने कहा,
"गाजा में हुए नरसंहार और विस्थापन के लिए इस्राइल जिम्मेदार है, लेकिन अमेरिका उसे दंडित करने के बजाय पुरस्कृत कर रहा है।"

हमास ने ट्रंप के उस सुझाव की निंदा की, जिसमें उन्होंने कहा था कि गाजा पट्टी के निवासियों को छोड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। हमास ने अमेरिका पर आरोप लगाया कि वह क्षेत्र में अराजकता और तनाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।

क्या बढ़ेगा मध्य पूर्व में तनाव?

ट्रंप के इस प्रस्ताव के बाद मध्य पूर्व में पहले से मौजूद तनाव और बढ़ सकता है। जहां इस्राइल इस प्रस्ताव को समर्थन दे रहा है, वहीं अरब देश और फलस्तीनी गुट इसे खतरनाक मान रहे हैं। सऊदी अरब और हमास की कड़ी प्रतिक्रिया बताती है कि यह प्रस्ताव आसानी से स्वीकार नहीं किया जाएगा। अब सवाल यह उठता है कि क्या ट्रंप अपने इस विचार को आगे बढ़ाएंगे, या अरब देशों के कड़े विरोध के चलते इसे वापस लेंगे?

आने वाले समय में इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और भी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल सकती हैं।

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