केदारनाथ रोपवे परियोजना: अब 8 घंटे की यात्रा होगी सिर्फ 36 मिनट में
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय रोपवे विकास कार्यक्रम - पर्वतमाला परियोजना के तहत उत्तराखंड में सोनप्रयाग से केदारनाथ तक 12.9 किलोमीटर लंबी रोपवे परियोजना को मंजूरी दे दी है
- Published On :
06-Mar-2025
(Updated On : 06-Mar-2025 09:50 am )
केदारनाथ रोपवे परियोजना: अब 8 घंटे की यात्रा होगी सिर्फ 36 मिनट में
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय रोपवे विकास कार्यक्रम - पर्वतमाला परियोजना के तहत उत्तराखंड में सोनप्रयाग से केदारनाथ तक 12.9 किलोमीटर लंबी रोपवे परियोजना को मंजूरी दे दी है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि इस आधुनिक रोपवे से यात्रा का समय 8-9 घंटे से घटकर मात्र 36 मिनट हो जाएगा।

4,081 करोड़ रुपये की लागत से बनेगा आधुनिक ट्राई-केबल रोपवे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस महत्वाकांक्षी परियोजना को स्वीकृति मिली। 4,081 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला यह रोपवे डिजाइन, निर्माण, वित्त, संचालन और हस्तांतरण (DBFOT) मॉडल पर विकसित किया जाएगा। इसे सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल के तहत निर्मित किया जाएगा और सबसे उन्नत ट्राई-केबल डिटैचेबल गोंडोला (3S) तकनीक से सुसज्जित होगा।
प्रमुख विशेषताएं ;
- 36 सीटों की क्षमता वाली आधुनिक गोंडोला प्रणाली
- प्रति घंटे 1,800 यात्री प्रति दिशा (PPHPD) क्षमता
- दैनिक 18,000 तीर्थयात्रियों को सेवा देने की क्षमता
- रोजगार के नए अवसर – आतिथ्य, यात्रा, पर्यटन, खाद्य और पेय (F&B) उद्योग को मिलेगा बढ़ावा
आसान होगी केदारनाथ यात्रा
केदारनाथ मंदिर की यात्रा गौरीकुंड से 16 किलोमीटर की कठिन चढ़ाई के रूप में जानी जाती है, जिसे वर्तमान में पैदल, टट्टू, पालकी या हेलीकॉप्टर के माध्यम से पूरा किया जाता है। इस रोपवे परियोजना के शुरू होने से तीर्थयात्रियों को सुरक्षित, आरामदायक और तीव्र यात्रा का अनुभव मिलेगा।
पर्यटन और आर्थिक विकास को मिलेगा बढ़ावा
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में 3,583 मीटर (11,968 फीट) की ऊँचाई पर स्थित केदारनाथ धाम 12 पवित्र ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह मंदिर अक्षय तृतीया (अप्रैल-मई) से दिवाली (अक्टूबर-नवंबर) तक तीर्थयात्रियों के लिए खुला रहता है, और हर साल लगभग 20 लाख श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं।
यह रोपवे परियोजना सामाजिक-आर्थिक विकास को गति देने, पहाड़ी क्षेत्रों में बेहतर संपर्क सुविधा उपलब्ध कराने और पर्यटन को नई ऊँचाइयों तक ले जाने में मील का पत्थर साबित होगी।
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