लखनऊ। यूपी के मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भी भाजपा का कमल खिल गया है। यह सीट यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के लिए नाक का सवाल बनी थी। उपचुनाव में जीत से भाजपा ने पिछले साल लोकसभा चुनाव में अयोध्या-फैजाबाद सीट पर मिली करारी हार का बदला ले लिया है। जून में हार के 8 महीने के बाद ही सीएम योगी आदित्यनाथ ने हार का कलंक धो दिया है।
उल्लेखनीय है कि भव्य राम मंदिर के निर्माण और पिछले साल 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बावजूद इस सीट पर हार के कारण भाजपा को काफी अपमान सहना पड़ा था। पिछले साल लोकसभा चुनाव के नतीजे 4 जून को सामने आए। इसके बाद रामलला के गढ़ अयोध्या में भाजपा के प्रत्याशी लल्लू सिंह को हार गए थे। उन्हें सपा के अवधेश प्रसाद ने हरा दिया। राजनीतिक विश्लेषकों के लिए यह नतीजा चौंकाने वाला रहा। इसके बाद से ही पीएम मोदी और सीएम योगी की रणनीति पर सवाल उठने लगे थे। सोशल मीडिया पर अयोध्या की जनता को लेकर भी काफी तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली।
योगी ने झोंक दी थी पूरी ताकत
मिल्कीपुर क्षेत्र में योगी की अगुवाई में भाजपा ने लगातार मोर्चा संभाला हुआ था। योगी ने खुद मिल्कीपुर में कई जनसभाएं कीं और साथ ही कैबिनेट मंत्रियों और भाजपा संगठन ने डेरा डाल रखा था। योगी ने किसी भी कीमत पर मिल्कीपुर को जीतने का मिशन बनाया और इसका टास्क भी जिम्मेदार नेताओं के कंधों पर डाला। प्रत्याशी के चयन में भी मंथन के बाद सतर्कता बरती गई। करीब आधे दर्जन उम्मीदवारों में से चंद्रभानु को टिकट दिया गया। योगी आदित्यनाथ ने मिल्कीपुर में भाजपा के प्रचार की देखरेख के लिए मंत्री सूर्य प्रताप शाही की अगुवाई में 6 मंत्रियों को लगाया। शाही के साथ ही जल संसाधन मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, सहकारिता राज्यमंत्री जेपीएस राठौड़, आयुष मंत्री दयाशंकर सिंह, राज्यमंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह और सतीश शर्मा शामिल हैं। बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह और प्रदेश महामंत्री संजय राय भी लगातार सक्रिय रहे।
संघ ने भी संभाला था मोर्चा
मिल्कीपुर में भाजपा के साथ पर्दे के पीछे से संघ ने भी कमान संभाल ली। मिल्कीपुर क्षेत्र में संघ, विद्यार्थी परिषद व अन्य संगठनों के करीब 450 कार्यकर्ताओं ने एक महीने तक दिन-रात काम कर वोटरों को जोड़ने का काम किया। राममंदिर ट्रस्ट से जुड़े डॉ़ अनिल मिश्र, विहिप के विजय प्रताप व संघ के प्रांत संपर्क प्रमुख गंगा सिंह के नेतृत्व में संघ के कार्यकर्ताओं ने 20 दिनों तक कैंप कर जीत की रणनीति तैयार की। 255 पोलिंग स्टेशनों पर छोटी-छोटी बैठक, चाय-पान की दुकान पर चर्चा आदि के माध्यम से योगी सरकार के कार्यों को जन-जन तक पहुंचाने का काम किया। बूथ विजय अभियान के जरिये विधानसभा क्षेत्र के 70 बूथों पर रामलला का प्रसाद घर-घर पहुंचाकर मतदाताओं को भावनात्मक रूप से भाजपा से जोड़ने की कोशिश कामयाब रही।
भाजपा ने सपा के वोट में लगाई सेंध
जानकार बताते हैं कि सपा के कोर वोट बैंक पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक के मतों में सेंध लगाने की भाजपा की रणनीति काम आई और इनके मतों में बिखराव कर अपने पक्ष में भी वोट डलवाने में सफल रही। यादव के साथ ही कोरी, पासी तथा अन्य पिछड़े वर्ग के मतों को भी भाजपा ने अपने पक्ष में किया। इसके साथ ही ब्राह्मण समाज के क्षत्रप इस समाज को भी अपने पाले में करने में सफल रहे। 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा को मिले मतों को भी सहेजने में पार्टी कामयाब नहीं हो पाई। भाजपा ने बसपा के वोट बैंक में भी सेंध लगाने में सफल रही है। कारण उप चुनाव में बसपा प्रत्याशी मैदान में नहीं था। 2022 के चुनाव में बसपा को 14427 मत मिले थे। माना जा रहा है कि पार्टी का कोर वोट बैंक भाजपा के साथ गया है।
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