नई दिल्ली। उत्तरप्रदेश के संभल की जामा मस्जिद के मामले में सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने जिला प्रशासन को सख्त निर्देश देते हुए कहा कि वह यह सुनिश्चित करे कि संभल में शांति व्यवस्था बनी रहे। साथ ही निचली अदालत से भी कहा कि संबंधित मामले में फिलहाल कोई एक्शन न लें। इसके साथ ही रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में रखने और इसे नहीं खोलने के निर्देश भी दिए।
शुक्रवार को संभल मामले में सुनवाई शुरू हुई तो मस्जिद कमेटी ने दलील देते हुए कहा कि सर्वे का आदेश उसी दिन आ गया जिस दिन आवेदन दायर किया गया था। यह दोनों की तारीख 19 नवंबर थी। यही नहीं सर्वे भी उसी दिन शाम 6 बजे से लेकर रात 8.30 बजे तक हुआ। कोर्ट के सामने कहा कि 23 नवंबर को जब हम कानूनी सलाह लेने की तैयारी कर रहे थे, तभी उसी दिन आधीरात में पता चला कि सर्वे अगले दिन ही होगा। 24 नवंबर को सुबह 6.15 बजे सर्वे की टीम मस्जिद पहुंच गई और सुबह की नमाज के लिए जो नमाजी इकट्ठा थे उन्हें वहां से जाने के लिए कहा गया।
सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को कहा है कि वह इस मामले में कोई भी एक्शन ने ले, जब तक यह मामला हाईकोर्ट में लंबित है। जामा मस्जिद कमेटी ने हाईकोर्ट में सिविल जज के सर्वे के आदेश को चुनौती दी है। कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट के फैसले के बाद निचली अदालत कोई कार्यवाही करे। कोर्ट ने यूपी सरकार को निर्देश दिया है कि वह इस बात का ख्याल रखे कि इलाके में शांति और सद्भाव बना रहे। सुप्रीम कोर्ट ने कमिश्नर की रिपोर्ट सील बंद लिफाफे में रखने और इसे नहीं खोले जाने का भी निर्देश दिया है।
सीजेआई संजीव खन्ना की बेंच के सामने एडवोकेट अहमदी ने चिंता जाहिर की और कहा कि पूरे देश में ऐसे 10 मामले पेंडिंग हैं, जिनमें ऐसा ही हुआ। पहले ही दिन सर्वे का आदेश दे दिया और फिर सर्वेक्षक भी नियुक्त कर दिया जाता है, प्लीज इसे रोकें। इस पर सीजेआई खन्ना ने कहा कि हाईकोर्ट की परमिशन के बिना अब इस मामले में कुछ नहीं होगा और ट्रायल कोर्ट 8 जनवरी तक कोई कार्यवाही नहीं कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद कमेटी से कहा कि हमें लगता है कि याचिकाकर्ता सिविल जज के आदेश को चुनौती दे सकते हैं. उन्हें सीपीसी और संविधान के तहत ये हक है।
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