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महाकुंभ हादसों की जांच का दायरा बढ़ा, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जनहित याचिका की निस्तारित

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकार के आश्वासन के बाद महाकुंभ क्षेत्र में अमावस्या के दिन हुई भगदड़ और लापता लोगों की जांच को लेकर दाखिल जनहित याचिका को निस्तारित कर दिया है।

महाकुंभ हादसों की जांच का दायरा बढ़ा, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जनहित याचिका की निस्तारित

प्रयागराज | हाईकोर्ट ने सरकार के आश्वासन के बाद महाकुंभ क्षेत्र में अमावस्या के दिन हुई भगदड़ और लापता लोगों की जांच को लेकर दाखिल जनहित याचिका  को निस्तारित कर दिया है। कोर्ट ने इस मामले में सरकार से जवाब तलब किया था, जिसके बाद सरकार ने न्यायिक आयोग की जांच का दायरा बढ़ाने का निर्णय लिया।

सरकार को जांच का दायरा बढ़ाने पर करना पड़ा राजी

इस मामले में हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व महासचिव सुरेश चंद्र पांडे द्वारा जनहित याचिका दाखिल की गई थी, जिसमें कहा गया था कि महाकुंभ में तीन स्थानों पर भगदड़ हुई थी, लेकिन सरकार ने केवल 30 मौतों को स्वीकार किया, जबकि असली आंकड़ा 100 से अधिक था।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सौरभ पांडेय ने मीडिया रिपोर्ट्स और वीडियो फुटेज के आधार पर दावा किया था कि सरकार हादसे में हुई मौतों और लापता लोगों की संख्या गलत तरीके से पेश कर रही है।

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सरकार की दलील से असंतुष्ट था कोर्ट

हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति शैलेन्द्र क्षितिज की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की।

  • सरकार ने पहले कहा कि जांच के लिए पहले ही न्यायिक आयोग का गठन किया गया है, जो भगदड़ के कारणों की समीक्षा कर एक माह में रिपोर्ट देगा।

  • लेकिन कोर्ट इस जवाब से संतुष्ट नहीं था और सरकार से यह स्पष्ट करने को कहा कि मृतकों और लापता लोगों की सही जानकारी कैसे जुटाई जाएगी।

सरकार बैकफुट पर आई, जांच का दायरा बढ़ाने का निर्णय

सोमवार को सरकार ने कोर्ट को बताया कि न्यायिक आयोग अब केवल संगम क्षेत्र ही नहीं, बल्कि पूरे महाकुंभ क्षेत्र में हुई भगदड़ों की जांच करेगा।

  • अब यह आयोग हादसे की वास्तविक संख्या, लापता लोगों और प्रशासन की भूमिका की भी जांच करेगा।

  • सरकार के इस आश्वासन के बाद हाईकोर्ट ने जनहित याचिका को निस्तारित कर दिया।

याचिका में क्या थीं मुख्य मांगें?

  1. तीनों भगदड़ों की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए।

  2. लापता लोगों की सही संख्या और मौतों का वास्तविक आंकड़ा जारी किया जाए।

  3. सरकार पर आरोप था कि खोया-पाया केंद्र में लापता लोगों के आधार कार्ड मांगे जा रहे थे, जिससे कई नाम दर्ज नहीं हो सके।

अब सरकार को न्यायिक आयोग की विस्तृत रिपोर्ट का इंतजार रहेगा, जिससे महाकुंभ हादसे की सच्चाई सामने आ सकेगी।

 

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