नई दिल्ली। संभल में शाही जामा मस्जिद के पास के कुंए को उत्तर प्रदेश सरकार ने उन 19 प्राचीन कुंओं में से एक बताया है, जिनके जीर्णोद्धार की योजना है। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में दाखिल स्टेटस रिपोर्ट में राज्य सरकार ने कहा है कि कुंआ सार्वजनिक जमीन पर है. उसे मस्जिद का हिस्सा बताने वाला दावा झूठा है।
उल्लेखनीय है कि शाही मस्जिद के असल मे हरिहर मंदिर होने को लेकर कानूनी विवाद चल रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत की कार्यवाही पर अंतरिम रोक लगा रखी है। इस बीच मस्जिद कमेटी ने संभल में प्राचीन कुंओं की तलाश और खुदाई के खिलाफ याचिका दाखिल कर दी। मस्जिद पक्ष के खास तौर पर परिसर के पास के कुंए को लेकर यथास्थिति बनाए रखने की मांग की। कमेटी का कहना था कि कुएं की खुदाई और उसे मंदिर का कुंआ कहने से वहां पूजा शुरू हो जाएगी। 10 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने संभल में शाही जामा मस्जिद के पास के कुंए को हरि मंदिर का कुंआ कहने वाले नगरपालिका के नोटिफिकेशन पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी।
यूपी सरकार ने यह दिया जवाब-
यूपी सरकार ने कहा कि मस्जिद कमेटी ने गलत फोटोग्राफ पेश कर कोर्ट को भ्रमित करने की कोशिश की है। कुंआ मस्जिद परिसर के पास है, उसके अंदर नहीं. कुंए का मस्जिद से कोई संबंध नहीं। शाही मस्जिद खुद ही सार्वजनिक जमीन पर बनी है। लंबे समय से कुंए का उपयोग सभी समुदाय के लोग करते रहे है। 1978 में हुए साम्प्रदायिक दंगों के बाद कुंए के एक हिस्से पर पुलिस चौकी बना दी गई। दूसरा हिस्सा इसके बाद भी इस्तेमाल में बना रहा. लेकिन 2012 के आसपास इस कुंए को ढंक दिया गया। यह कुंआ उन 19 प्राचीन कुंओं में से एक है, जिनका जिला प्रशासन जीर्णोद्धार करने में लगा है। इन ऐतिहासिक कुंओं से संभल को सांस्कृतिक पहचान मिलेगी। इस कुंए में अभी पानी नहीं है। प्रशासन का उद्देश्य इस कुंए के जरिए रेन वॉटर हार्वेस्टिंग, वॉटर रिचार्ज और दूसरे मकसद को पूरा करना भी है? सरकार इलाके में लगातार शांति सद्भावना बनाए रखने में लगी है। सार्वजनिक कुओं के इस्तेमाल से रोकना इस लिहाज से भी ठीक नहीं रहेगा।
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