लखनऊ। यूपी के संभल में हुई हिंसा के मामले में पुलिस ने सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क पर एफआईआर दर्ज की है। सपा के मुखिया अखिलेश यादव ने इस पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा है कि जब सांसद संभल में थे ही नहीं तो उन पर एफआईआर कैसे हो गई। संभल दंगा जानबूझकर कराया गया। पुलिस की गोली से लोगों की मौत हुई है।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस दंगे को चुनावी धांधली से ध्यान भटकाने की साजिश बताया। उन्होंने कहा कि जब पहली बार सर्वे हुआ तो सबने सहयोग किया। साबरमती फिल्म देखकर उन्हें लगा कि कुछ बड़ा करेंगे इसलिए ये सब कराया गया। पुलिस ने बैरिकेडिंग लगा दी ताकि लोग नमाज न पढ़ सकें। 23 तारीख को रात में कहा गया कि 24 को सुबह फिर से सर्वे होगा। शाही जामा मस्जिद कमेटी के सदस्य ने कहा कि एक बार तो सर्वे हो चुका है।अखिलेश यादव ने कहा कि हमारे सांसद जियाउर्रहमान बर्क संभल में नहीं थे, इसके बावजूद उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। क्या किसी ने कभी ऐसा उदाहरण देखा है? एक पुलिस अधिकारी लोगों से राजनेताओं का समर्थन न लेने के लिए कह रहा था, वह किसकी बात कर रहा था?
पुलिस लगा रही भड़काऊ भाषण का आरोप
संभल के पुलिस और प्रशासन का कहना है कि भड़काऊ भाषण के कारण यहां हिंसा भड़की। पुलिस के मुताबिक हिंसा में चार लोगों की मौत उपद्रवियों की गोली से हुई है। गोली 315 बोर के हथियार से चलाई गई है, जिसे पुलिस इस्तेमाल नहीं करती। वहीं आरोपी सांसद बर्क का कहना है कि लोगों की मौत के लिए पुलिस-प्रशासन जिम्मेदार है। पुलिस ने प्राइवेट हथियार से गोली चलाई है। संभल सांसद का कहना है कि अगर कोर्ट का आदेश था तो सर्वे तो पहले हो चुका था। ऐसा कौन सी इमरजेंसी थी कि आप तुरंत सर्वे करने फिर से पहुंच गए।
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