तेलंगाना में जाति सर्वेक्षण पर सियासत गरमाई, भाजपा ने किया विरोध
तेलंगाना में कांग्रेस सरकार द्वारा किए गए जाति सर्वेक्षण को लेकर राजनीतिक घमासान मच गया है।
- Published On :
10-Feb-2025
(Updated On : 10-Feb-2025 09:31 am )
तेलंगाना में जाति सर्वेक्षण पर सियासत गरमाई, भाजपा ने किया विरोध
तेलंगाना में कांग्रेस सरकार द्वारा किए गए जाति सर्वेक्षण को लेकर राजनीतिक घमासान मच गया है। मुस्लिम समुदाय को पिछड़ा वर्ग (BC) श्रेणी में शामिल करने पर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री बंदी संजय कुमार और भाजपा नेताओं ने कड़ा विरोध जताया है।

भाजपा का विरोध क्यों?
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बंदी संजय कुमार का कहना है कि मुसलमानों को BC श्रेणी में शामिल करने से अन्य पिछड़े वर्गों (OBC) के साथ अन्याय होगा।
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उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस वोट बैंक की राजनीति कर रही है और यह सामाजिक संतुलन के लिए नुकसानदेह हो सकता है।
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तेलंगाना भाजपा प्रमुख जी किशन रेड्डी ने भी इस फैसले पर आलोचना करते हुए इसे OBC के हकों पर कुठाराघात बताया।
जाति सर्वेक्षण के आंकड़े क्या कहते हैं?
तेलंगाना सरकार द्वारा किए गए जाति सर्वेक्षण के अनुसार:
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पिछड़ी जातियां (OBC) – 46.25%
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अनुसूचित जाति (SC) – 17.43%
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अनुसूचित जनजाति (ST) – 10.45%
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मुसलमान – 10.08%
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अन्य जातियां – 13.31%
भाजपा का दावा है कि पिछली सरकार (BRS) के दौरान पिछड़ा वर्ग की आबादी 51% थी, लेकिन इस सर्वेक्षण में इसे 46% बताया गया है, जिससे संदेह पैदा होता है।
कांग्रेस का बचाव
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कांग्रेस सरकार का कहना है कि जातीय सर्वेक्षण का उद्देश्य सभी समुदायों को सही प्रतिनिधित्व देना और आरक्षण नीति को तर्कसंगत बनाना है।
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पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री पोन्नम प्रभाकर ने BC संगठनों के नेताओं से मुलाकात कर सर्वेक्षण रिपोर्ट पर चर्चा की।
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सरकार का मानना है कि इस सर्वेक्षण से सही सामाजिक-आर्थिक योजनाएं बनाने में मदद मिलेगी।
क्या है ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य?
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वाईएस राजशेखर रेड्डी की कांग्रेस सरकार ने अविभाजित आंध्र प्रदेश में मुस्लिम OBC के लिए 4% आरक्षण दिया था।
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भाजपा का तर्क है कि धर्म के आधार पर आरक्षण असंवैधानिक है और यह अन्य OBC समुदायों के हक छीनने जैसा होगा।
राजनीतिक प्रभाव और आगे की राह
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भाजपा इस मुद्दे को लेकर तेलंगाना में आक्रामक रणनीति अपनाएगी, क्योंकि इससे पिछड़े वर्गों के बीच कांग्रेस सरकार के खिलाफ माहौल बनाया जा सकता है।
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कांग्रेस इस सर्वेक्षण को सामाजिक न्याय और प्रतिनिधित्व का मुद्दा बनाकर मुस्लिम और OBC वोटों को साधने की कोशिश करेगी।
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आने वाले दिनों में यह विवाद और गहराने की संभावना है, जिससे तेलंगाना की राजनीति में नया मोड़ आ सकता है।
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