इंदौर। हर साल 20 जुलाई के दिन अंतरराष्ट्रीय शतरंज दिवस मनाया जाता है। शतरंज दिमाग का खेल कहा जाता है। शतंरज ऐसा खेल है जिसे सदियों से खेला जाता रहा है और इस खेल को साल 1966 में यूनेस्को से रिकोग्निशन मिली थी।. इस दिन को मनाने का मकसद शतरंज को शिक्षा, तार्किक सोच को बढ़ाने और संस्कृति के आदान-प्रदान के रूप में प्रसारित करना है। साल 1994 में 20 जुलाई के ही दिन इंटरनेशनल चेस फेडरेशन की स्थापना भी हुई थी।
इंटरनेशनल चेस फेडरेशन की स्थापना दूर-दराज तक शतरंज के मुकाबलों का आयोजन करके वैश्विक स्तर पर इस खेल को बढ़ावा देना था। आज विश्व के लाखों-करोड़ों लोग शतरंज खेलते हैं। यह खेल भाषाओं और सीमाओं के परे है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शतरंज के मुकाबलों का आयोजन होता है जिनमें बच्चों से लेकर बड़े तक प्रतिस्पर्धा करते हैं। वहीं, बहुत से लोगों के लिए शतरंज खेलना एक अच्छा टाइमपास है। बच्चों को शतरंज खेलने के लिए प्रोत्साहित करने का मकसद आमतौर पर उनकी दिमागी शक्ति को बढ़ाना और उनमें लॉजिकल और क्रिटिकल थिंकिक डेवलप करना होता है।
219 घंटे 5 मिनट तक चला था शतरंज
विश्व का सबसे पुराना शतरंज का टुकड़ा 12वीं शताब्दी का है और यह आयरलैंड में पाया गया था। शतरंज का खेल 32 अलग-अलग टुकड़ों के साथ खेला जा सकता है, लेकिन मानक खेल में केवल 16 टुकड़े होते हैं। दुनिया का सबसे लंबा शतरंज का खेल 1984 में बेल्ग्रेड में खेला गया था और यह 219 घंटे और 5 मिनट तक चला था।
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